Ramadan 2022: रमज़ान इस्लाम धर्म (Islamic Calender) के सबसे पाक और अहम महीनों में से एक है. मुस्लिम समुदाय के लोग साल भर रमज़ान (Ramzan) के महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि रमज़ान के महीने में की गई इबादत का सवाब आम दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा होता है.
मुस्लिम समुदाय के लोग रमज़ान के पूरे महीने (29 या 30 दिन) तक रोज़ा रखते हैं, नमाज़ पढ़ते हैं और क़ुरान (Quran) की तिलावत करते हैं. माना जाता है कि रमज़ान के महीने में अल्लाह अपने बंदों की हर जायज़ दुआ कुबूल करता है और उनको गुनाहों से बरी करता है. यही वजह है कि इस महीने में लोग इबादत करने के साथ-साथ अल्लाह से अपने गुनाहों की दिल से तौबा भी करते हैं.
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इस्लाम में रमज़ान के पाक महीने में रोज़ा रखने और नमाज़ पढ़ने के साथ क़ुरान पढ़ने की भी काफी फ़ज़ीलत बताई गई है. रमज़ान के महीने में ही 21वें रोज़े के दिन पैग़ंबर हज़रत मोहम्मद साहब पर अल्लाह ने ‘क़ुरान शरीफ' नाजिल किया था, यानी कुरान अस्तित्व में आया था. इसलिए इस महीने में कुरान पाक की ज्यादा से ज्यादा तिलावत की जाती है.
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रमज़ान में रोज़े की शुरुआत सुबह सहरी से शुरू होती है, जब सूर्योदय से पहले कुछ हल्का फुल्का खाकर रोज़ा यानि फास्टिंग की शुरुआत की जाती है. यानि सहरी सुबह सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को कहते हैं. सहरी करना सुन्नत है, इसका भी सवाब मिलता है.
रोज़ा खत्म किया जाता है शाम में सूरज ढलने पर, रोज़ा खोलने को यानि फास्टिंग तोड़ने को इफ़्तार कहते हैं. इफ्तार करने से ठीक पहले की दुआ बहुत जल्द कुबूल होती है. वजह है दिन भर का भूखा सामने खाना रखा होने के बावजूद उसे खाने की बजाय दुआ में मशगूल होता है, ये उसके devotion का पीक होता है इसलिए इस समय की वाजिब और दिल से मांगी गई दुआ जल्द कुबूल होती है.
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