2019 में जनता ने विरासत की सियासत को नकारा

Updated : May 23, 2019 23:05
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Editorji News Desk
सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव परिणाम को एक खास वजह से भी याद किया जाएगा. जनता ने विरासत की सियासत करने वाले बड़े-बड़े नामदारों के संसद में बैठने के सपने को चकचनाचूर कर दिया. सबसे पहले बात उत्तर प्रदेश के अमेठी की नेहरु-गांधी खानदान के वारिस राहुल गांधी को उनके मजबूत गढ़ अमेठी से जनता ने चौथी पर संसद पहुंचने से रोक दिया. उन्हें स्मृति ईरानी ने मात दी. मध्यप्रदेश के गुना की जनता ने अपने ही महाराज ज्योतिरादित्य को चौथी बार संसद नहीं भेजा. इस सीट से सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया और उनकी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया चुनाव जीतती रही हैं. कुछ ऐसा ही हाल हरियाणा के सोनीपत और रोहतक का रहा. सोनीपत की जनता ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा को नकारा तो रोहतक से चौथी बार संसद पहुंचने की उनके बेटे दीपेन्द्र की हसरत भी परवान नहीं चढ़ सकी. वंशवाद के प्रति जनता का गुस्सा यूपी के मुजफ्फरनगर में भी दिखा. यहां चौधरी चरण सिंह की विरासत के नाम पर राजनीति करने वाले अजित सिंह बुरी तरह हार गए. उधर मुलायम परिवार की बहू डिंपल यादव कन्नौज से तो धर्मेन्द्र यादव बदायूं से हार गए. बिहार में तो लालू प्रसाद यादव की
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