दशहरा! त्योहार एक, अंदाज़ अनेक

Updated : Oct 07, 2019 18:08
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Editorji News Desk

दशहरा यानि विजयदशमी भारत का एक अहम पर्व है, इसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. हमारे देश में दशहरा मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं, जो कि भारतीय समाज और संस्कृति की विविधता को बयां करती हैं. कहते हैं कि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, तो कहीं ये मान्यता भी है कि दशमी के दिन ही मां दुर्गा ने 'महिषासुर' नाम के राक्षस का वध किया था. कुल मिलाकर दशहरा का त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत के तौर पर मनाया जाता है.  आइए आपको बताते हैं कि देश भर में मनाए जाने वाले कुछ खास दशहरा के बारे में ... 

मैसूर दशहरा

कर्नाटक के मैसूर में दशहरा सबसे अलग और शानदार तरीके से मनाया जाता है. कहते हैं कि मैसूर का नाम भी महिषासुर के नाम पर रखा गया है, जिसका वध चामुंडेश्वरी देवी ने किया था. इसीलिए यहां इनकी विशेष तौर पर पूजा होती है. मैसूर पैलेस का शाही जोड़ा सबसे पहले ये पूजा करता है, जिसके बाद भव्य जुलूस निकाला जाता है. यहां दशहरा मनाए जाने का रिवाज करीब 600 साल पुराना है. 

कुल्लू दशहरा
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का दशहरा देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ‘कुल्लु दशहरा’ के नाम से काफी मशहूर है. लोग इसे देखने दूर दूर से आते हैं. और आएं भी क्यों ना, हिमाचल में ये एक मेगा फेस्टिवल की तरह मनाया जाता है और खुद में पूरे राज्य का रंग समेटता है. हिमाचल के दशहरा की खास बात ये है कि यहां के लोग दशहरा में भगवान राम की नहीं बल्कि अपने पहाड़ी देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, और इस दौरान सज-धज कर अपने अपने भगवान की पालकी निकालते हैं. एक और खास बात ये है कि कुल्लू दशहरा में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है.

बंगाल का दशहरा 
प.बंगाल, ओडिशा और त्रिपुरा के दशहरा में नवरात्रि के षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी और नवमी का दिन काफी महत्व रखता है. यहां देवी काली के रूपों की पूजा होती है. यहां सिंदूर की होली खेलकर दशहरा मनाया जाता है. इस दौरान पंडालों समेत पूरे शहर को ही दुल्हन की तरह सजाया जाता है. 

गुजरात का दशहरा
गुजरात की बात करें तो यहां का दशहरा गरबा और डांडिया की वजह से बाकी देश से बेहद अलह है. गुजरात के गरबा ने तो अब देशभर में अपनी पैठ बना ली है, यहां के गरबा और डांडिया नाइट काफी मशहूर हैं. देश विदेश से लोग दशहरा के दौरान यहां गरबा खेलने पहुंचते हैं. 

उत्तर भारत की रामलीला
उत्तर भारत में विजयदशमी से दस दिन पहले रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें रामायण के अलग-अलग पाठों का मंचन और वर्णन होता है. 10वें दिन रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाद का पुतला दहन किया जाता है. कहीं-कहीं पर केवल रावण दहन ही किया जाता है.

विजयवाड़ा का दशहरा
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा का दशहरा भी थोड़ा अलग है... यहां 10 दिनों तक देवी की पूजा होती है, यहां दशहरा के दौरान खासतौर से सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दौरान मंदिरों को काफी भव्य तरीके से सजाया जाता है।

देशभर में भले विजयदशमी या दशहरा को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है, पर कुल मिलाकर संदेश एक ही है. और वो ये कि बुराई कितनी भी बड़ी और ताकतवर क्यों न हो, वो अच्छाई के सामने ज्यादा नहीं टिक पाती. अंत में जीत सच्चाई और अच्छाई की ही होती है. 

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