16 दिसंबर साल 2012 को देश की राजधानी दिल्ली में एक युवती के साथ चलती बस में गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया.
इतना ही नहीं गैंगरेप के बाद युवती और उसके दोस्त को चलती बस से नीचे फेंक दिया गया था.
13 दिनों तक 'निर्भया' जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ती रही. 29 दिसंबर 2012 को सिंगापूर के एक अस्पताल में उसने दम तोड़ा
'निर्भया कांड' ने दिल्ली समेत समूचे भारत को झकझोर कर रख दिया. निर्भया को इंसाफ दिलाने पूरी दिल्ली सड़कों पर उतर गई.
इस मामले में कुल 6 आरोपी थे. एक नाबालिग था जिसे 2 साल बाल सुधार गृह में रखने के बाद छोड़ दिया गया. जबकि एक ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में ख़ुदकुशी कर ली.
साल 2012 में हुए इस जघन्य अपराध में पीड़िता को न्याय मिलने में लंबा वक़्त लगा. निर्भया के परिजनों ने इसके लिए लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी.
20 मार्च 2020 को आखिरकार निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाया गया.