डिमेंशिया...एक ऐसी खतरनाक बीमारी जो सीधा आपके दिमाग पर असर डालता है। जिसकी वजह से समझने की क्षमता कम होने लगती है और याददाश्त कम होने लग जाता है। भारत में 40 लाख लोग डिमेंशिया के किसी ना किसी रूप से पीड़ित हैं...तो वहीं दुनिया भर में हर 4 सेकेंड में एक शख्स अपनी याददाश्त खो रहा है। हर साल 21 सितंबर को वर्ल्ड अल्ज़ाइमर डे मनाया जाता है। इस साल इस दिन का थीम, जागरुकता बढ़ाना और इस स्टिगमा को चुनौती देना है। इस बीमारी को लेकर समाज में कुछ गलत जानकारियां भी है..जिनपर अंकुश लगाने के लिए डिमेंशिया को लेकर ये कुछ जरूरी तथ्य जिन्हें आपको जरूर पता होना चाहिए.....
- अल्जाइमर डिमेंशिया का ही एक रूप है, ये एक न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है, जिससे मेमोरी लॉस और भूलने की शिकायत होती है।
- 100 से ज्यादा तरह का होता है डिमेंशिया, जिनमें से अल्ज़ाइमर सबसे ज्यादा आम है
- 60-65 की उम्र के लोगों में डिमेंशिया सबसे आम है..लेकिन, अब इसकी शिकायत 40-50 उम्र के लोगों में भी दिख सकती है। ये डिमेंशिया का एक असमान्य रूप होता है जिसे early-onset Alzheimer's कहा जाता है।
- डिमेंशिया के लक्षण एक बार में ही नहीं बल्कि धीरे-धीरे दिखाई देते हैं। मेमोरी लॉस, कंफ्यूजन, किसी काम को करने और बातचीत करने में परेशानी जैसे लक्षण इसके शुरुआती पहचान हो सकते हैं।
- कुछ लोगों में डिमेंशिया अनुवांशिक भी होता है, हालांकि इसको रोकने के लिए कोई स्पेसिफिक दवा नहीं है. लेकिन अपने लाइफस्टाइल में बदलाव कर इससे दूर रह सकते हैं। Harvard Medical School के रिसचर्स के मुताबिक... नियमित व्यायाम, हेल्दी डाइट और एक्टिव ब्रेन इसके रिस्क को कम सकता है।
- Washington University School of Medicine के वैज्ञानिकों ने सेंट लुइस में एक ऐसा ब्लड टेस्ट डेवलप किया है जो बीमारी की शुरुआत से करीब 20 साल पहले अल्जाइमर के लक्षणों का पता लगा सकता है। इस टेस्ट से इसके इलाज को जहां एक ओर नई आशा मिली है तो वहीं अभी इसके लिए अधिक रिसर्च की भी जरूरत है।
भागती-दौड़ती जिंदगी के तनाव, सही खानपान, एक्सरसाइज की कमी और बढ़ती उम्र जैसे फैक्टर हमारी याददाश्त छीनने में लगे हुए हैं ऐसे में जरूरी है कि हम लाइफ स्टाइल में थोड़े बदलाव कर इसको मात दें और दूसरों को भी जागरुक करें