20 मार्च 2020 की सुबह साढ़े 5 बजे गुनाहगारों को फांसी के साथ ही निर्भया केस अपने अंजाम तक पहुंच गया... वैसे तो कहते हैं कि अंत भला तो सब भला... लेकिन, हकीकत में 16 दिसंबर 2012 को घटे इस केस की इंवेस्टिगेशन जब तक चली, दिल्ली पुलिस के लिए चैलेंज बनी रही.
बाइट- राजिंदर सिंह, तत्कालीन इंस्पेक्टर, दिल्ली पुलिस
(उस वक्त दिल्ली पुलिस में तत्कालीन इस्पेक्टर रहे राजिंदर सिंह ने बताया जिस दिन इस घटना का हमको पता चला... हम तभी ये समझ गए थे कि मामला पेचीदा है... )
दिल्ली पुलिस ने निर्भया केस को न सिर्फ गंभीरता से लिया बल्कि इसके इन्वेस्टिगेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हर बेहतर दांव भी आजमाया...
बाइट- राजिंदर सिंह, तत्कालीन इंस्पेक्टर, दिल्ली पुलिस
( तत्कालीन इस्पेक्टर राजिंदर सिंह के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने अपनी बेस्ट इंवेस्टिगेटिव टीम को इसमें शामिल किया... मेडिकल जांच में जो आम तौर पर 2 या 3 डॉक्टर्स की ही सलाह ली जाती थी... इस केस में 18 से 20 डॉक्टर की राय ली गई)
दिल्ली पुलिस की टीम ने दिन-रात एक कर दिए ताकि निर्भया केस की तफ्तीश जल्दी से पूरी हो सके... घटना के 18वें दिन ही मेहनत रंग लाई और केस की चार्जशीट फाइल कर दी गई...
बाइट- राजिंदर सिंह, तत्कालीन इंस्पेक्टर, दिल्ली पुलिस
(राजिंदर सिंह ने बताया कि कैसे दिल्ली पुलिस के 20-25 लोगों ने 4-5 दिनों तक बिना घर गए काम किया... 21 दिसंबर को इस केस में आखिरी गिरफ्तारी हुई... जबकि 3 जनवरी को इसकी चार्जशीट फाइल की गई)
निर्भया केस की जांच को अंजाम तक पहुंचाने में DCP छाया शर्मा का बड़ा रोल रहा... उन्हीं के लीडरशिप का नतीजा रहा कि निर्भया केस में की गई दिल्ली पुलिस की इंवेस्टिगेशन एक मिसाल बनीं.
बाइट- राजिंदर सिंह, तत्कालीन इंस्पेक्टर, दिल्ली पुलिस
(राजिंदर सिंह ने कहा कि हमारी मैडम छाया शर्मा बहुत ज्यादा इमोशनली कनेक्ट थी इस केस से.... इस केस की इंवेस्टिगेशन इतनी अच्छी रही कि इसका जिक्र अब दिल्ली पुलिस के ट्रेनिंग सेंटर में किया जाता है. )