कुछ बच्चे वास्तव में प्रतिभा के धनी होते हैं जिनकी छोटी उम्र में बड़ी-बड़ी उपलब्धियां आपको चौंका देती हैं। ये हैं भारत के कुछ लिटिल जीनियस जिन्होंने अपनी प्रतिभा से साबित किया है कि जनाब उम्र तो महज़ एक नंबर है।
त्रुप्तराज पांड्या को जन्म से ही संगीत और लय की समझ आ गई थी....मुंबई के सोमैया कॉलेज में महज 2 साल की उम्र में ही उन्होंने अपना पहला तबला परफॉर्मेंस दिया था...6 साल की उम्र में त्रुप्तराज ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे कम उम्र के तबला मास्टर के तौर पर अपना नाम दर्ज करवा लिया था
4 साल के अद्वैत कोलाकर आर्ट के मास्टर हैं। जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते हैं..पुणे के अद्वैत ने उस उम्र में पेंट ब्रश के साथ खेलना शुरू कर दिया था। वो ब्राइट कलर्स के साथ पोलॉक स्टाइल पेंटिंग में माहिर हैं। उन्होंने बड़ी गैलरी में 3 बार अपने काम को प्रदर्शित किया है जहां अक्सर उनकी पेंटिंग्स हाथों-हाथ बिक जाती हैं.
जालंधर के 11 साल के अर्शदीप सिंह जाने-माने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर हैं। उन्हें हाल ही में तीन प्रतिष्ठित ग्लोबल अवॉर्ड्स Wildlife Photographer of the Year 2018, Young Comedy Wildlife of the Year 2018 और Young Asian Wildlife Photographer Award मिले हैं। उन्होंने महज 5 साल की उम्र से फोटो खींचना शुरू किया था । अर्शदीप को पक्षियों की फोटोग्राफी करने का शौक है
असम के जोरहाट के 11 साल के राज शंकर सैकिया सबसे कम उम्र के कुंग फू ब्लैक बेल्ट होल्डर हैं। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की ओर से जब ये उपलब्धि 2015 में उन्हें मिली थी तब वो सिर्फ 7 साल के थे
12 साल के बोधिसत्व गणेश खंडेराव एक इको-वॉरियर हैं। उन्होंने 6 साल की छोटी सी उम्र से ही पर्यावरण को लेकर जागरुकता फैलाना शुरू कर दिया था। नागपुर के विभद्र के जंगलों को बचाने के लिए सीड बॉल की मदद से पौधे लगाने के उनके इनोवेटिव आइडिया को देशभर से सराहना और समर्थन मिला.