जमानत याचिका (Bail Plea) की सुनवाई में होने वाली देरी पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ा फैसला दिया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि जमानत पर सुनवाई न होना हिरासत में बंद किसी शख्स (Man in custody) की स्वतंत्रता के अधिकार (Right to freedom) का हनन है. इसके साथ सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मौजूदा कोविड-19 महामारी के बीच कम से कम आधे न्यायाधीशों को वैकल्पिक दिनों में बैठना चाहिए ताकि संकट में फंसे लोगों की सुनवाई हो सके.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के सामने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर एक जमानत याचिका के एक साल से भी अधिक समय तक सुनवाई न होने का मामला सामने आया था. ये मामला बीते साल 28 फरवरी से लंबित है जिस पर हाईकोर्ट ने तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में जज हेमंत गुप्ता और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने हैरानी जताई. पीठ ने कहा कि आम तौर पर, हम उच्च न्यायालय द्वारा पारित किसी अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप नहीं करते हैं, लेकिन हम यह आदेश पारित करने के लिए विवश हैं क्योंकि ये सही नहीं है.