भारतीय स्वाधीनता संग्राम के शहीदों में एक नाम जो सबसे अलग चमकता है वो है भगत सिंह. महज 23 साल की उम्र में वे न सिर्फ अंग्रेजों के लिए दहशत का पर्याय बन गए बल्कि एक वक्त ऐसा भी आया जब देश में उन्हें महात्मा गांधी जैसी लोकप्रियता हासिल हो गई.
उनकी फांसी के वक्त पूरा देश यूं उबल पड़ा था कि खुद गांधी के लिए उसे काबू में रखना मुश्किल जान पड़ता था. उनकी शख्सियत ऐसी थी कि उन्हें शहीद-ए-आजम के नाम से पुकारा जाने लगा. आइए जानते हैं 27 सितंबर 1907 को मौजूदा पाकिस्तान के लायलपुर जिले के बंगा गांव में जन्मे भगत सिंह की जिंदगी के कुछ ऐसे किस्सों को जिनके बारे में बेहद कम चर्चा हुई है.
1. भगत सिंह ने 15 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था क्योंकि घर वालों की शादी करने की जिद से वे सहमत नहीं थे.
2. उन्होंने ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी थी. इसी मामले में उन्हें फांसी की सजा हुई न कि असेंबली में बम फेंकने के मामले में.
3. सिख होने के बावजूद उन्होंने दाढ़ी और बाल कटवा दिए ताकि अंग्रेज उन्हें पकड़ न सकें
4. जेल में भेदभाव के खिलाफ उन्होंने 116 दिनों की भूख हड़ताल की थी. जो एक रिकॉर्ड है.
5. लाहौर के शादमान चौक पर शहीद भगत सिंह को फांसी दी गई थी. आज भी पाकिस्तान में हर साल ‘शहीदी दिवस’ मनाया जाता है.
6. कहा जाता है कि भगत सिंह की आखिरी इच्छा थी कि उन्हें फांसी पर लटकाने की जगह गोली मार कर सज़ा ए मौत दी जाए
7. भगत सिंह हिंदी, उर्दू, पंजाबी और अंग्रेजी लिख-पढ़ सकते थे. प्रताप अखबार में भी उन्होंने काम किया था.