देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) का मुद्दा एक बार फिर गरमा सकता है क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) द्वारा जारी दिशानिर्देशों पर विचार करे. जस्टिस सुनीत कुमार की बेंच ने मोदी सरकार को संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत पूरे देश में इसे लागू करने का निर्देश दिया है.
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट में मायरा उर्फ वैष्णवी विलास शिरशिकर और दूसरे धर्म में शादी से जुड़ी 16 अन्य याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. इसी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि समान नागरिक संहिता देश की जरूरत है और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वो नागरिकों के लिए इसे लागू करे और उसके पास इसके लिए विधायी क्षमता है.
कोर्ट के मुताबिक, 75 साल पहले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने भी कहा था कि समान नागरिक संहिता को ‘विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक’ नहीं बनाया जा सकता है.
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बता दें कि BJP लंबे समय से ये मुद्दा उठाती रही है जबकि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इसका विरोध करते रहे हैं. ऐसे में जान लेते हैं क्या है समान नागरिक संहिता?