चीन (china) की तरह भारत को भी बिजली संकट (Power Crisis) का सामना कर सकता और त्योहारी सीजन में घरों की बत्ती गुल हो सकती है. इसकी वजह कोयले (Coal shortage) की किल्लत बताई जा रही है, जिससे देश में 70 फीसदी बिजली उत्पादन होता है. केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने भी माना है कि देश में कोयले का संकट गहराता जा रहा है, जिसका सीधा असर बिजली के उत्पादन पर पड़ेगा. बताया जा रहा है कि कोयले से बिजली बनाने वाले पावर प्लांट के पास औसतन 4 दिन का स्टॉक बचा हुआ है. खबरों के मुताबिक कुल 135 थर्मल पावर प्लांट्स में से 72 के पास कोयले का तीन दिन से भी कम का स्टॉक बचा हुआ है. जबकि 50 पावर प्लांट ऐसे है जहां कोयले का चार से 10 दिन का स्टॉक है.
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देश के आधे से ज्यादा थर्मल पावर प्लांट ने बिजली संकट की चेतावनी दे दी है. कोयले के संकट का असर यूपी की बिजली उत्पादन इकाइयों पर पड़ने लगा है. हरदुआगंज (अलीगढ़) और पारीक्षा (झांसी) की दो-दो कुल चार इकाइयों से बिजली का उत्पादन पूरी तरह ठप कर दिया गया है.
इस किल्लत के लिए कई वजह बताई जा रही है. ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बिजली संकट के पीछे एक वजह कोरोना काल भी है, जिसमें घर पर ही रहने और काम करने के दौरान लोगों ने जमकर बिजली का इस्तेमाल किया. दूसरी वजह हर घर बिजली देने का लक्ष्य, जिससे पहले के मुकाबले बिजली की मांग काफी बढ़ी. जबकि कई हिस्सों में हुई भारी बारिश के कारण कोयले खदानों में पानी भर जाना भी किल्लत की एक वजह बनी.
आंकड़े के अनुसार 2019 अगस्त-सितंबर महीने में बिजली की कुल खपत जहां 10 हजार 660 करोड़ यूनिट प्रति महीना थी. वहीं 2021 में ये आंकड़ा बढ़कर 12 हजार 420 करोड़ यूनिट प्रति महीने तक पहुंच गया.