SC/ST कानून के तहत निजी या दीवानी केस को निरस्त कर सकती हैं अदालतें: सुप्रीम कोर्ट

Updated : Oct 26, 2021 07:36
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Editorji News Desk

SC/ST अधिनियम के तहत दर्ज मामलों को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि एससी/एसटी अधिनियम ( SC/ST law) के तहत दर्ज कोई अपराध मुख्य रूप से निजी या दीवानी का मामला है, या पीड़ित की जाति देखकर नहीं किया गया है तो अदालतें मामले की सुनवाई निरस्त करने की अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर सकती हैं.

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चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "अदालतों को इस तथ्य का ध्यान रखना होगा कि उस अधिनियम को संविधान के अनुच्छेद 15, 17 और 21 में निहित संवैधानिक सुरक्षात्मक प्रावधानों के संबंध में बनाया गया था, जिसका उद्देश्य कमजोर वर्गों के सदस्यों का संरक्षण करना और जाति आधारित प्रताड़ना का शिकार हुए पीड़ितों को राहत और पुनर्वास उपलब्ध कराना है. लेकिन एससी/एसटी अधिनियम के तहत दर्ज किसी मामले में कोर्ट को लगता है कि कानूनी कार्यवाही का दुरुपयोग होगा तो ऐसे मामलों में अदालतें कार्यवाही को समाप्त कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम के तहत दोषी करार दिए गए एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही समाप्त करने के दौरान की.

 

Supreme CourtConstitution

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