SC stands for bright Dalit student: सुप्रीम कोर्ट ने पढ़ाई में शानदार लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर एक दलित छात्र के हक में बड़ा आदेश दिया है, साथ ही IIT में एडमिशन देखने वाली ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (JOSAA) को खूब हड़काया है. सर्वोच्च अदालत ने JOSAA को आदेश दिया है कि वो 48 घंटे के अंदर प्रिंस जयबीर को IIT Bombay में एडमिशन दे, और इसके लिए किसी भी छात्र का नाम एडमिशन लिस्ट से ना काटा जाए.
दरअसल उत्तर प्रदेश के रहने वाले प्रतिभाशाली दलित छात्र प्रिंस जयबीर सिंह (Dalit Student Admission) IIT बॉम्बे में दाखिले के लिए चुन लिए गए थे, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से उन्हें फीस का पैसा जुगाड़ने में काफी वक्त लगा. अंतिम दिन किसी तरह एक रिश्तेदार से मदद मिली और उनके क्रेडिट कार्ड से वो फीस पेमेंट करने गया, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी के चलते कार्ड से समय पर फीस नहीं भरी जा सकी, लिहाजा IIT बॉम्बे में जयबीर को एडमिशन नहीं मिल सका.
मामला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना के सामने आया. उन्होंने JOSAA से पूछा तो साफ कहा गया कि अब तो IIT बॉम्बे क्या किसी भी IIT में कोई सीट नहीं है, इसलिए एडमिशन नहीं मिलेगा. इसपर जज बेहद नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि, "इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि एक निर्धन प्रतिभाशाली छात्र को इस तरह से पढ़ने से रोक दिया जाए." जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "यह एक नौकरशाही किस्म का जवाब है. आपको मानवीय रवैया अपनाना चाहिए. हमें लगता है कि आपके यहां जिम्मेदार पद पर बैठे लोग सामाजिक सच्चाई को नहीं जानते. उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि यह एक गरीब परिवार से आने वाला दलित छात्र है. उसके लिए यहां तक पहुंच पाना कितना कठिन रहा होगा?"
कोर्ट के कहने के बावजूद जब IIT में दाखिला देखने वाली JOSAA ने सीट ना होने की बात कही तो नाराज कोर्ट ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए छात्र प्रिंस जयबीर को 48 घंटे के भीतर IIT बॉम्बे में एडमिशन देने का आदेश दिया. टॉप कोर्ट ने आदेश में यह भी लिखवाया कि इस छात्र को एडमिशन देने के लिए किसी और छात्र का नाम लिस्ट से न हटाया जाए.
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