पुल बहे, घर ढहे, लोग दबे और तबाही का मंजर अपने पीछे छोड़ गए. क्योंकि उत्तराखंड की बारिश अब काल बन गई है.
नैनीताल में बारिश के बाद आई आपदा में 9 मजदूर एक ही घर में जिंदा दफन हो गए, जबकि दीवार ढहने से 5 मजदूरों की दर्दनाक मौत हुई और 2 लोग पहाड़ी से मलबा गिरने से मर गए.
उत्तराखंड में सड़कें पानी और मलबे से भर गई हैं, पुल टूट गए हैं और नदियां उफान पर हैं. चंपावत में जलस्तर बढ़ने से एक पुल ही नदी में बह गया. हल्द्वानी में भी पुल का एक हिस्सा टूटकर नदी में जा गिरा.
उधर, नैनीताल में लगातार हो रही बारिश के कारण नैनी झील का पानी इतना बढ़ गया कि सड़कों और घरों तक पहुंच गया. रास्ते बंद हो गए हैं. बिजली गुल है. सड़कों पर पानी के बहाव को रोकने के लिए सेना के जवान ढाल बनकर खड़े हो गए.
उधर, उधम सिंह नगर में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए नानक सागर डैम के गेट खोल दिए गए. ताकि पानी की निकासी हो सके.
इंसानों के साथ-साथ उत्तराखंड की जल प्रलय जानवरों के लिए मुसीबत बन गई. हल्दुचौर और लालकुआं के बीच गौला नदी में पानी के उग्र बहाव में एक हाथी फंस गया, जिसे बाद में रेस्क्यू किया गया.
बद्रीनाथ नेशनल हाइवे के पास एक कार नाले में जा गिरी. जिसके बाद BRO की टीम ने कार को नाले से निकाला. रानीखेत-रामनगर रूट पर बने एक रिसोर्ट में 100 यात्री फंस गए. बारिश के कारण नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा से हल्द्वानी और काठगोदाम तक के रास्ते बंद हो गए.
उत्तराखंड में कुदरत की इस मार को देखते हुए रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है. जिसके बाद चार धाम यात्रा को स्थगित कर दिया गया है और बाहरी यात्रियों से फिहलाल उत्तराखंड ना आने की अपील की जा रही है. हेलीकॉप्टर की मदद से लोगों तक राहत पहुंचाई जा रही है.
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