कल्पना कीजिए यदि दिन, हफ्ते, महीने और फिर साल नहीं होते तो क्या होता? और यदि ये सब कुछ होता भी लेकिन सही तरीके से नहीं होता तो क्या होता?...इन सवालों का जवाब काफी विस्तार लिए हो सकता है लेकिन फौरी तौर पर हम ये कह सकते हैं कि हमारा दैनिक जीवन ही अस्त व्यस्त होता...समाजिक जीवन चरमरा गया होता...इतिहास की पढ़ाई संभव न होती...आदि..आदि
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इन्हीं मुश्किलों को हल करने के लिए कैलेंडर का अविष्कार (Invention of Calendar) हुआ...सभी देशों ने अपनी-अपनी समझ के मुताबिक कैलेंडर बनाए...मसलन भारत में शक संवत है, विक्रम संवत है...इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calender) है...जैन और सिख कलेंडर (Jain and Sikh Calender) भी है...लेकिन क्या आप जानते हैं साल में 12 महीने और 365 दिन वाला कैलेंडर कैसे बना...ये वही कलेंडर है जिसे हम भारतीय ही नहीं पूरा दुनिया फॉलो करती है...दुनिया को ये कैलेंडर दिया था महान रोमन सम्राट जूलियस सीजर (Roman Ruler Julius Scissor) ने...
आज यानि 12 जुलाई की तारीख का संबंध उसी रोमन सम्राट जूलियस सीजर से है जिसने दुनिया को 12 महीने और 365 दिन वाला कैलेंडर दिया. आज ही के दिन 12 जुलाई, 100 ईसा पूर्व को जूलियन सीजर का जन्म हुआ था...जूलियस सीजर की गिनती रोम के महान और पराक्रमी सम्राट के तौर पर होती है...जिसका राज्य ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, एशिया माइनर, साउथ यूरोप और नार्थ अफ्रीका तक फैला था...मतलब जो बात 19 वीं और 20 वीं शताब्दी में ब्रिटिश साम्राज्य के बारे में कही जाती थी कि इनके राज्य में कभी सूर्य अस्त नहीं होता वही बात जूलियस सीजर के शासनकाल पर भी फिट बैठती है.
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जूलियस सीजर एक ऐसा शख्स था जिसने अपने करियर की शुरुआत एक पुजारी के तौर पर की थी...बाद में वो सेना में शामिल हुआ और फिर रोम के साम्राज्य को उसका सबसे वैभवशाली रूप प्रदान किया. उसके सैन्य अभियान अब भी पढ़े और पढ़ाए जाते हैं...महान अंग्रेजी साहित्यकार विलियम शेक्सपियर ने उन्हीं के जीवन पर साल 1601 से 1604 ईस्वी में नाटक लिखा- जूलियस सीजर...चार सदी बाद भी इस नाटक का दुनिया भर में मंचन होता है...
बहरहाल, हम यहां बात करते हैं अपने मूल विषय कैलेंडर की...दरअसल जूलियस के पहले भी रोमन राज्य में कैलेंडर का प्रचलन था लेकिन तब उसमें 10 महीने यानि 304 दिन शामिल थे. इससे शासन-प्रशासन में समस्या होती थी...समय की सही गणना में दिक्कत होती थी. जूलियस सीजर ने खगोलविदों के साथ गणना कर पाया कि पृथ्वी को सूर्य के चक्कर लगाने में 365 दिन और छह घंटे लगते हैं, इसलिए सीजर ने रोमन कैलेंडर को 310 से बढ़ाकर 365 दिन का कर दिया.
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जूलियस कैलेंडर (Julian Calendar) में जुलाई और अगस्त ये 2 नए महीने जोड़े गए थे. यानी पहले जो रोमन कैलेंडर था उसमे 10 महीनों का एक साल होता था, वह अब 12 महीनों का एक साल बन गया था. खास बात ये है कि जिस वक़्त ये केलिन्डर बना था उस वक़्त मौसम और महीनो के बीच 3 महीनो का अंतर था इसलिए जूलियस ने 46 BC को 445 दिन का बनाया और 45 BC से नए कैलेंडर को लागू किया.
इसके बाद रोमन साम्राज्य जहां तक फैला हुआ था वहां नया साल एक जनवरी से माना जाने लगा. लेकिन जूलियस कैलेंडर में की गई समय की गणना में भी थोड़ी खामी थी, इसमें लीप ईयर (Leap year) की त्रुटि के कारण, ईस्टर (Easter) की तारीख पीछे हट गई. ऐसे में 16वीं सदी आते-आते समय लगभग 10 दिन पीछे हो चुका था. समय को फिर से नियत समय पर लाने के लिए रोमन चर्च के पोप ग्रेगरी ने साल 1582 में इस पर काम किया। ग्रेगरी ने एक नया कैलेंडर तैयार किया जो इसे ठीक करने के लिए हर चार साल में एक लिप दिवस का उपयोग करता था. इसी कैलेंडर को नाम दिया गया ग्रेगोरियन कैलेंडर.
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ग्रेगोरियन कैलेंडर बनने के 170 साल बाद यानी 1752 ई. में अंग्रेजों ने भारत में इस कैलेंडर को लागू किया गया. उस साल 11 कम कर दिए गए थे. यानी 2 सितंबर से सीधे 14 सितंबर की तारीख दी गई थी. आपको बता दे कि, भारत में शक सवंत पर आधारित एक कैलेंडर हैं, जिसे भारतीय राष्ट्रीय पंचांग या 'भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर' के तौर पर जाना जाता हैं. और इसे ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ-साथ 22 मार्च 1957 को अपनाया गया. आज हम इसी कैलेंडर को फॉलो करते हैं.
चलते- चलते 12 जुलाई की हुई दूसरी महत्वपूर्ण घटनाओं पर भी निगाह डाल लेते हैं.
1912 - ‘क्वीन एलिजाबेथ’ (Queen Elizabeth Movie) अमेरिका में प्रदर्शित होने वाली पहली विदेशी फिल्म बनी
1949 - महात्मा गांधी की हत्या (Mahatma Gandhi Assassination) के बाद आरएसएस पर लगाए गए प्रतिबन्ध को सशर्त हटाया गया
1970 - अलकनंदा नदी (Alaknanda River) में आई भीषण बाढ़ ने 600 लोगों की जान ली
1997- नोबल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मानित मलाला युसुफजई (Malala Yousafzai) का पाकिस्तान में जन्म
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