Independence Day: अंग्रेजों ने भारत पर करीब 200 सालों तक अपनी हुकूमत चलाई (British Governance) और इस दौरान कई अत्याचार किए. पिछले साल, डायलन सुलिवन और जेसन हिकेल ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट- 'कैपिटलिज्म एंड एक्सट्रीम पॉवर्टी' में दावा किया है कि ब्रिटिश सरकार के उपनिवेश काल के 40 साल में 165 मिलियन भारतीय या तो मारे गए या पीड़ित हुए थे.
विशेषज्ञों ने दावा किया है कि 1880 से 1920 के बीच ब्रिटिश साम्राज्यवाद की शक्ति अपने शिखर पर थी. यह ब्रिटेन के लिए तो फायदे की बात थी, लेकिन भारत के लिए विनाशकारी साबित हुई. 1880 के दशक में शुरू हुए औपनिवेशिक शासन की जनगणना का आकलन करें तो इस अवधि के दौरान मृत्यु दर (Death Rate) में काफी वृद्धि हुई. 1880 के दशक में 1000 लोगों पर 37 की मौत होती थी, जबकि 1910 के दशक में बढ़कर प्रति एक हजार लोगों को 44 तक पहुंच गई थी.
1880 से लेकर 1920 तक के 40 साल के दौरान ब्रिटिश साम्राज्यवादी नीतियों के कारण मारे गये लोगों की संख्या का अनुमान लगाने के लिए जनगणना के आंकड़ों का उपयोग किया. भारत में मृत्यु दर के मजबूत आंकड़े केवल 1880 के दशक से ही मौजूद हैं. सामान्य मृत्यु दर के आंकड़ों को आधार के रूप में इस्तेमाल करते हुए पेपर में बताया गया है कि 1891 से 1920 की अवधि के दौरान ब्रिटिश उपनिवेशवाद की वजह से लगभग 50 मिलियन अतिरिक्त मौतें हुईं. इस दौरान सामान्य रूप से भी लगभग 50 मिलियन लोगों की मौत हुई थी. ऐसे में यह आंकड़ा 100 मिलियन तक पहुंचता है.
एक शोध रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया कि अंग्रेजी हुकूमत ने अपने 200 साल के शासनकाल में भारत से करीब 45 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति लूटी थी. वहीं, इतिहासकार रॉबर्ट सी एलन के शोध के अनुसार, ब्रिटिश शासन के तहत 1810 में भारत में गरीबी 23 प्रतिशत से बढ़कर 20वीं शताब्दी के मध्य में 50 प्रतिशत से अधिक हो गयी थी. अकाल और भुखमरी के समय 19वीं शताब्दी में यह इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी. एक रिपोर्ट में ये भी दावा किया जाता है कि ब्रिटिश सरकार ने उपनिवेश के 40 साल के दौरान लगभग 10 करोड़ भारतीय मारे गये थे.