2000 Rupee Note: 6 साल पहले नोटबंदी (Demonetization) के बाद 500 के नए और 2000 रुपये के नोटों की मार्केट में एंट्री हुई. लेकिन, वक्त बीतने के साथ ही 2000 रुपये के गुलाबी नोट चलन में कम हो गए और अब तो ये मार्केट से बिल्कुल गायब हो चुके हैं. आखिर कहां गए ये गुलाबी नोट, जिसे नोटबंदी के दौरान बैन हुए 1000 रुपये के नोट के विकल्प के तौर पर लाया गया था. तो इसका जवाब भी उसी कारण में छिपा है, जिसके लिए नोटबंदी का फैसला लिया गया था.
ये भी पढ़ें: Wedding Season: भारत में 40 दिनों में 32 लाख शादियां, करीब 4 लाख करोड़ रुपये का होगा व्यापार
दरअसल, भ्रष्टाचार और नकली नोटों पर लगाम लगाने के लिए 8 नवंबर 2016 को रात करीब 8 बजे पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए नोटबंदी की घोषणा की. इसके साथ ही 500 और 1000 रुपए के नोटों पर बैन लगा दिया गया और 15.52 लाख करोड़ रुपए अर्थव्यवस्था से बाहर हुए. फिर इन नोटों की जगह 500 रुपए के नए और 2000 रुपए के बड़े नोट की एंट्री हुई.
इनमें से 500 के नए नोट तो मार्केट में खूब चल रहे हैं, लेकिन साल 2017-18 के दौरान सबसे ज्यादा चलन में रहे 2000 के बड़े नोट धीरे-धीरे कम हुए और फिर दिखना ही बंद हो गए. क्योंकि ये नोट छपने ही बंद हो गए. और ये सब एक प्लानिंग के तहत किया गया, जिसका मकसद वहीं कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम कसना था. पिछले साल केंद्र सरकार ने भी संसद में जानकारी दी थी कि अप्रैल 2019 के बाद से सेंट्रल बैंक ने 2000 का एक भी नोट नहीं छापा है.
RBI के आंकड़े की मानें तो 2000 के नोट सबसे ज्यादा 2017-18 में चलन में रहे. इस फाइनेंशियल इयर में 2000 के 33,630 लाख नोट चलन में थे. मार्च 2021 तक देश में 2000 रुपये के मात्र 24,510 लाख नोट ही चलन में थे जिनका मूल्य 4.90 लाख करोड़ रुपये था. अब करीब 3 लाख करोड़ रुपये के 2000 के नोट चलन से बाहर हो गए हैं. साथ ही बताया कि 2019-20 से 2000 रुपये के एक भी नोट की छपाई नहीं हुई है. रिपोर्टेस के मुताबिक साल 2020 में भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिए थे कि बैंकों से 2000 रुपये के नोट हटा दिए जाएं.
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े नोटों की छपाई का खर्चा भी अधिक आता है, और कोरोना काल में सरकार के लिए ये और मुश्किल हो गया. इसलिए गुलाबी नोटों का चलन खत्म हो गया है. इसके अलावा मार्केट में नकली नोट भी ज्यादातर बड़ी संख्या के ही देखे जाते हैं. ऐसे में इनकी छपाई बंद कर कालाधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना भी एक बड़ी वजह बताई जा रही है.