5 June in History: क्या आप जानते हैं- औरंगजेब ने दिल्ली से लेकर गुवाहटी तक मंदिर भी बनवाए थे
इन दिनों ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सुर्खियों में है...कहते हैं इसे औरंगजेब के शासन काल में मंदिर को तोड़ कर तामीर करवाया गया...बात जब ज्ञानवापी की चलती है तो हिंदू संगठन औरंगजेब पर तोहमतों की बौछार करना शुरू कर देते हैं...ऐसे में सवाल ये है कि क्या वाकई औरंगजेब हिंदू और हिंदुओं के प्रति इतना कठोर था...क्या उसने सिर्फ मंदिरों को ही जमींदोज किया...इन्ही सवालों का जवाब देने की कोशिश होगी आज के झरोखा में..क्योंकि आज के दिन का संबंध औरंगजेब से है...5 जून 1659 को ही वो दिल्ली की गद्दी पर बैठा था...
मशहूर इतिहासकार सुंदर लाल ने अपनी किताब 'भारत में अंग्रेजी राज' में औरंगजेब के कई किस्सों का जिक्र किया है जो इस मुगल बादशाह की पूरी शख्सियत को और गहराई से सबके सामने लाते हैं...किताब में लिखा गया है - ये सच है कि औरंगजेब ने मठों और मंदिरों को ध्वस्त कराया...लेकिन उसने मंदिरों और मठों को दान भी दिया. वाक्या कुछ यूं है कि अप्पा गंगाधर औरंगजेब के चहेते सेनापति थे...गंगाधर की वफादारी से खुद होकर बादशाह ने उनके इष्टदेव लिए दिल्ली में जामा मस्जिद के पास गौरीशंकर मंदिर को बनवाया...
ये भी पढ़ें| Punjabi singer Sidhu MooseWala: अमित शाह ने की मूसेवाला के परिवार से मुलाकात, भावुक हो गए पिता
कुछ ऐसा ही चित्रकूट में भी हुआ...चित्रकूट के अधिपति पन्ना नरेश महाराज हिंन्दुपत के राज में औरंगजेब ने बालाजी मंदिर की तामीर करवाई...इसके सबूत ब्रिटिश शासनकाल में हाईकोर्ट से प्रमाणित फारसी भाषा के अंग्रेजी ट्रांसलेशन की कॉपी मौजूद है. इस मशहूर मंदिर में मुगलकलीन कला की छाप साफ दिखती है. औरंगजेब ने गुवाहाटी में उमानाथ मंदिर के पुजारी सुदामा ब्राह्मण को भी काफी जमीन और जंगल से मिली आय का हिस्सा दान किया था.
दरअसल, औरंगजेब की राजनीतिक महत्वाकाक्षाएं असीमित थी और इसी लिहाज से वह धर्म को अपने हिसाब से इस्तेमाल करता था. कभी कट्टर सुन्नी शासक बनता था तो कभी सहिष्णु बादशाह. उसने गोलकुंडा की मस्जिद को भी नहीं बख्शा था. इतिहासकार बर्नियर ने लिखा है कि औरंगजेब ने अपने शिक्षक को इस बात के लिए डांटा था कि वह संकीर्ण दृष्टि और विचार रखता था.
एक किस्सा मशहूर है कि उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में हमेशा जलने वाले दीपक पर कुछ मुस्लिम अधिकारियों ने रोक लगा दी थी. जिसके बाद पुजारियों ने ये फरियाद औरंगजेब के पास पहुंचाई तब बादशाह ने चबूतरा कोतवाल के तहसीलदार को हुक्म दिया कि मंदिर में दीप जलाने के लिए घी की व्यवस्था की जाए.
सुंदर लाल की किताब में कई इतिहासकारों की बात का हवाला देते हुए कहा गया है कि अकबर के दरबार में जहां 14 हिंदू मनसबदार थे, शाहजहां के दरबार में 105 जबकि औरंगजेब के दरबार में 148 हिंदू मनसबदार थे.
चलते-चलते आज की दूसरी अहम घटनाओं पर जल्दी से निगाह डाल लेते हैं.