शहीद हुए मेजर आशीष ढोंचक पंचतत्व में विलीन हो गए हैं. जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर आशीष ढोंचक को उनके पैतृक स्थान पानीपत स्थित बिंझौल गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. अपने वीरयोद्धा की अंतिम विदाई में भारी संख्या में लोग जमा हुए और नारे लगाते रहे- जब तक सूरज-चांद रहेगा, आशीष तेरा नाम रहेगा.
मेजर आशीष ढोंचक तीन बहनों के इकलौते भाई थे. अपने पीछे मेजर आशीष पिता, पत्नी और 2 साल की बेटी को छोड़ गए. जैसे ही मेजर आशीष ढोंचक का पार्थिव शरीर पानीपत पहुंचा वहां माहौल गमगीन हो गया. आशीष ढोंचक के चचेरे भाई आदर्श ने कहा कि 23 अक्तूबर को मेजर आशीष ढोंचक का जन्मदिन था और वो छुट्टी लेकर घर आने वाले थे. बताया गया कि आशीष ढोंचक ने हाल ही में नया घर बनाया था.