असम के गुवाहाटी हाईकोर्ट ने आरोपियों के मकानों को बुलडोजर से ढहाने की कार्रवाई (Bulldozer Action) के एक मामले पर स्वत: संज्ञान लिया. कोर्ट ने इस मामले में असम सरकार (Assam Govt) से जवाब मांगा है. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि भले ही कोई एजेंसी किसी बेहद गंभीर मामले की ही जांच क्यों न कर रही हो, किसी के मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी भी आपराधिक कानून में नहीं है.
चीफ जस्टिस आर एम छाया ने असम के नगांव जिले में आगजनी की एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने के संबंध में हाईकोर्ट के स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. चीफ जस्टिस ने कहा कि किसी के घर की तलाशी लेने के लिए भी अनुमति की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ‘‘कल अगर आपको कुछ चाहिए होगा, तो आप मेरे अदालत कक्ष को ही खोद देंगे. अगर जांच के नाम पर किसी के घर को गिराने की अनुमति दे दी जाती है तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा. उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं. मकानों पर इस तरह से बुलडोजर चलाने की घटनाएं फिल्मों में होती हैं और उनमें भी, इससे पहले तलाशी वारंट दिखाया जाता है." इस मामले पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी.
स्थानीय मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम की कथित रूप से हिरासत में मौत के बाद भीड़ ने 21 मई को बटाद्रवा थाने में आग लगा दी थी. इस्लाम को एक रात पहले ही पुलिस लेकर गई थी. इसके एक दिन बाद जिला प्राधिकारियों ने इस्लाम सहित कम से कम छह लोगों के मकानों को उनके नीचे कथित तौर पर छिपाए गए हथियारों और नशीले पदार्थों की तलाश के लिए ध्वस्त कर दिया था और इसके लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया था.
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