यूपी में मतगणना (Counting) से पहले EVM को लेकर विपक्षी दलों ने गदर काटा हुआ है. काशी से लेकर बरेली तक विपक्षी दल (opposition party) EVM में धांधली के आरोप लगा रहे हैं तो सत्ता पक्ष पलटवार कर रहा है. चुनाव आयोग (Election commission) भी सफाई पर सफाई दे रहा है. ऐसे में ये जानना दिलचस्प रहेगा कि आखिर मतों की गिनती होती कैसे है? काउंटिंग का प्रोटोकॉल क्या है? धांधली की संभावना है या नहीं? सबसे पहले जान लेते हैं EVM है क्या ?
EVM की कहानी क्या है?
चुनाव आयोग ने सबसे पहले 1977 में EVM की चर्चा की थी
1979 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने इसे तैयार किया
देश में ECIL और BEL ही तैयार करती है EVM मशीनें
सबसे पहले मई 1982 में केरल में EVM का इस्तेमाल हुआ
EVM से चुनाव कराने पर आम सहमति 1998 में बनी
2004 के लोकसभा चुनाव में देश की सभी 543 सीटों पर EVM से चुनाव हुए थे
साल 2013 में EVM के साथ VVPT मशीनों को जोड़ा गया
EVM में 16 बटन होते हैं, 16 वां बटन NOTA का होता है
चलिए हमने ये तो जान लिया कि EVM की कहानी क्या है. अब जान लेते हैं कि आखिर मतगणना के दिन होता क्या है? वोटिंग के लिए कैसे तैयार होता है मतगणना केन्द्र?
दरअसल काउंटिंग से पहले EVM को मतगणना केंद्र पर स्ट्रॉन्ग रूम से कड़ी सुरक्षा के बीच लाया जाता है। स्ट्रॉन्ग रूम वो जगह होती है जहां वोटिंग के बाद EVM को रखा जाता है. काउंटिंग सेंटर पर RO के अलावा कैंडिडेट, इलेक्शन एजेंट और काउंटिंग एजेंट पहले से तैनात रहते हैं. इस पूरी प्रक्रिया की बकायदा वीडियो रिकॉर्डिंग होती है.
क्या होता है काउंटिंग सेंटर में?
पूरी काउंटिंग अलग-अलग चरणों में होती है, चुनाव एजेंट मौजूद रहते हैं
एजेंट्स की मौजूदगी में हर राउंड में 14 EVM खोली जाती है.
हर राउंड में करीब 10-12 हजार वोट गिने जाते हैं
8 बजे मतगणना शुरू होती है, पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है
30 मिनट के बाद EVM की गिनती शुरू होती है. पहला रूझान 2-3 मिनट में मिलता है
मतगणना कर्मचारी हर राउंड के बाद फॉर्म 17-C भरकर एजेंट से उस पर साइन लेते हैं
हर राउंड के बाद ब्लैक बोर्ड पर भी नतीजे लिखे जाते हैं, आपत्ति जताने का मौका मिलता है
इसके बाद नतीजों को लाउस्पीकरों के माध्यम से ऐलान किया जाता है.
इस पूरी प्रक्रिया को वैसे तो फुल प्रूफ माना जाता है लेकिन फिर भी गाहे-बगाहे धांधली की खबरें भी आती रहती हैं. इसी को रोकने के लिए VVPAT का इंतजाम किया गया पर इसमें भी झोल है. इस पर भी हम बात करेंगे लेकिन पहले VVPAT है क्या चीज पहले इसे समझ लेते हैं.
VVPAT है क्या चीज?
VVPAT का मतलब है वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल
VVPAT को मतदान केन्द्रों पर EVM मशीन से जोड़ा जाता है
VVPAT कांच के शीशे से पूरी तरह से ढका होता है
जब वोटर वोट डालते हैं तो उनके मत की पर्ची निकलती है
दरअसल यह व्यवस्था इसलिए है कि किसी तरह का विवाद होने पर EVM में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके. साल 2019 में 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर मांग की थी कि हर निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 % वोटों को VVPAT से मिलाया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 5 EVM और VVPAT में डले वोटों की जांच की जाए.