Property News: शहरों में फ्लैट का चलन लंबे वक्त से चला आ रहा है और आजकल टियर-2 सिटीज में भी फ्लैट का चलन तेजी से बढ़ रहा है. वक्त की जरूरत कहो या बड़े शहरों में कम होती जगह. वहीं, लोगों को भी गगनचुंबी इमारतों में रहना पसंद आ रहा है. लेकिन बड़े शहरों में फ्लैट लेना आसान बिलकुल भी नहीं होता. क्योंकि इन फ्लैट की कीमतें आम आदमी के बजट से काफी ज्यादा होती हैं. इसके लिए या तो वो जिंदगीभर की जमापूंजी लगा देता है या फिर होम लोन लेकर अपने घर के सपने को पूरा करते हैं.
तो चलिए 'बात आपके काम की' हम आपको बताते हैं वो जरूरी बातें जो आपको फ्लैट खरीदने से पहले ध्यान में रखनी हैं. नहीं हो आप ठगी का शिकार भी हो सकते हैं.
प्रॉपर्टी की कीमत (Property Cost)
इस बात का ख्याल रखे की ज्यादातर बिल्डर आपको फ्लैट की सही मार्केट वेल्यू नहीं बताएंगे, इसके पीछे उनका ज्यादा मुनाफा कमाना वजह है. इसलिए फ्लैट लेने से पहले उसकी सही मार्केट वेल्यू का पता जरूर करें. प्रॉपर्टी की ऑनलाइन साईट, इलाके के प्रॉपर्टी डीलर और न्यूजपेपर में छपने वाले विज्ञापन से आप उस इलाके में संपत्ति की कीमत का अंदाजा लगा सकते हैं.
प्रॉपर्टी की कानूनी जानकारी
दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण प्वॉइंट है. संपत्ति की कानूनी जानकारी लेना. प्रॉपर्टी खरीदने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि जिस जमीन पर फ्लैट बना है वह कानूनी झंझट से मुक्त हो. साथ ही ये पता करें कि डेवलपर को RERA, रजिस्ट्रार, इलाके की डेवलपमेंट अथॉरिटी, जल आपूर्ति, बिजली विभाग और नगर निगम से सभी मंजूरी मिली है या नहीं ?
फ्लैट का कारपेट एरिया (carpet area of flat)
तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु है फ्लैट का एरिया. इसमें कारपेट एरिया (Carpet area) और बिल्ट अप एरिया (Built up area) जैसे शब्दों का ख्याल रखें. क्योंकि कई लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं होती. मान लीजिए आपने 1000 स्क्वॉयर फीट का फ्लैट खरीदा तो आपको कारपेट एरिया मात्र 700 स्क्वॉयर फीट ही होगा. बाकी की 30 फीसदी एरिया बिल्ट अप एरिया कहलाता है. जिसमें शाफ्ट, एलीवेटर स्पेस, सीढियां, दीवार की मोटाई जैसी चीजें भी शामिल होती है. वहीं सुपर बिल्ट अप एरिया (Super Built up area) में फ्लैट्स के बीच में कॉमन स्पेस एरिया भी डिवाइड होता है. यानि बॉयर आपसे सिर्फ फ्लैट के अंदर का नहीं बल्की आसपास के एरिया का भी पैसा वसूलता है. इसीलिए अपना फोकस कारपेट एरिया पर रखें.
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पजेशन की तारीख
फ्लैट लेने से पहले पजेशन की तारीख का ध्यान जरूर रखें. बिल्डर (Builder) कई बार पजेशन (Possession) में काफी देर लगा लेते हैं और फिर खरीददार को चक्कर लगाने पड़ते हैं. बायर को पजेशन देने में देरी होने पर मुआवजे की रकम के बारे में एग्रीमेंट (Agreement) में दिए क्लॉज पर ध्यान से पड़ना चाहिए. क्योंकि पजेशन में देरी होने पर सेलर बायर को कुछ ब्याज देता है.
बिल्डर की क्रेडिबिलिटी और बैंक लोन (Builder's credibility and bank loan)
फ्लैट लेने से पहले बिल्डर की क्रेडिबिलिटी को भी ध्यान से परखें इसके लिए बेहतर है कि बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट्स के बारे में पता करें. वहीं अगर उस प्रोजेक्ट में होम लोन केवल कुछ छोटे-मोटे चुनिंद बैंक ही लोन दे रहे हैं, तो भी आपको संभलने की जरूरत है.
वहीं, फ्लैट लेते वक्त किसी भी धोखाधड़ी से बचने का सबसे आसान तरीका होता है बैंक से होम लोन लेना. क्योंकि जब आप बैंक से लोन लेते हैं, तो बैंक प्रॉपर्टी की सारी जांच खुद ही करा लेते हैं. साथ ही आप जिस लोकेशन पर फ्लैट ले रहे हैं वहां की सिक्योरिटी और आसपास की मार्केट लोकेशन जरूर पता करें, जिससे आपको भविष्य में किसी भी प्रकार की असहजता ना हो.