Ban on Wheat Export: देश में गेहूं की बढ़ती कीमत को देखते हुए केंद्र सरकार (Indian government) ने इसके निर्यात पर फिलहाल रोक लगा दी है. इसके एक्सपोर्ट को अब 'प्रतिबंधित' सामानों की कैटेगरी में डाल दिया गया है. भारत ने बढ़ती घरेलू कीमतों (domestic prices) को नियंत्रित करने लिए ये फैसला लिया है. सरकार ने कहा है कि पहले ही जारी किए जा चुके लेटर ऑफ क्रेडिट के तहत गेहूं निर्यात की अनुमति रहेगी. विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी DGFT ने कहा कि देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है.
बता दें भारत वैश्विक स्तर पर गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और कीमतों पर दबाव बढ़ गया है, क्योंकि शीर्ष उत्पादक यूक्रेन युद्ध की चपेट में है. यूक्रेन दुनिया के उच्च ग्रेड गेहूं का लगभग पांचवां और सभी गेहूं का 7% उत्पादन करता है. गेहूं की अंतरराष्ट्रीय कीमत में करीब 40 फीसदी तेजी आई है. इससे भारत से इसका निर्यात बढ़ गया है. मांग बढ़ने से स्थानीय स्तर पर गेहूं और आटे की कीमत में भारी तेजी आई है.
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कई देशों ने पहले ही गेहूं आयात के लिए भारत से संपर्क किया था, जिनमें तुर्की, मिस्र, इज़राइल, ओमान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं.
घरेलू स्तर पर आटा, ब्रेड और यहां तक कि बिस्कुट जैसे बुनियादी चीजों पर कीमतों में वृद्धि का दबाव दिख रहा है. गेहूं का आटा जो भारतीय रसोई में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला खाद्य पदार्थ है, उसकी दरें एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं. गेहूं के आटे का औसत खुदरा मूल्य अप्रैल में 32.38 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो जनवरी 2010 के बाद सबसे अधिक है.