Mahakal Bhasma Aarti: भगवान शिव की भक्ति का महापर्व सावन चल रहा है और सावन के सोमवार (Somwar) पर शिव भक्तों (Shiv Bhakt) में खासा उत्साह रहता है. भगवान महाकाल (उज्जैन) के दरबार में सावन के चौथे सोमवार को भव्य भस्म आरती (Bhasma Aarti) हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. इसके बाद भगवान महाकाल को जल, दूध, दही, शहद, शक्कर, फलों के रस से स्नान कराया गया. भगवान महाकाल को भांग, नाना प्रकार के फूल, वस्त्र, सूखे मेवे, चंदन आदि से सजाया गया. भगवान का श्रृंगार होने के बाद भस्म आरती की गई.
क्यों की जाती है भस्म आरती ?
शिवपुराण में बताया गया है कि जब सती ने अपते पति शिव के अपमान के कारण पिता दक्ष के यज्ञ में स्वंय को आहूत कर दिया. भगवान शिव क्रोधित हो गए थे और अपनी चेतना में नहीं रहे. इसके बाद वो माता सती के मृत शरीर को लेकर इधर-उधर घूमने लगे.
भगवान शिव को क्यों कहा जाता है 'नीलकंठ'?
जब भगवान शिव को श्रीहरी ने देखा तो उन्हें संसार की चिंता सताने लगी. हल निकालने के लिए उन्होंने माता सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से कई हिस्सों में बांट दिया था. जहां-जहां माता सती के अंग गिरे वो स्थान शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हो गए. भगवान शिव को लगा कि कहीं वो सती का हमेशा के लिए ना खो दें इसलिए उन्होंने उनकी शव की भस्म को अपने शरीर पर लगा लिया.
भस्म आरती को लेकर मान्यताएं
कहा जाता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है इसलिए आरती सुबह 4 बजे की जाती है. वर्तमान समय में महाकाल की भस्म आरती में कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार किए गए भस्म का इस्तेमाल किया जाता है.
ऐसी मान्यता है कि सालों पहले श्मशान के भस्म से आरती होती थी लेकिन अब कंडे के बने भस्म से आरती श्रृंगार किया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक भस्म आरती देखना महिलाओं के लिए निषेध है. इसलिए कुछ समय के लिए उन्हें घूंघट करना पड़ता है आरती के दौरान पुजारी एक वस्त्र धोती में होते हैं.