बिहार जाति सर्वेक्षण से पता चला है कि अनुसूचित जाति के लोग, जिन्हें आमतौर पर दलित के रूप में जाना जाता है, राज्य की आबादी का 19.65% हिस्सा हैं.वहीं यदि आदिवासियों या अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों की बात करें तो उनकी संख्या 1.68% है. सबसे वंचित सामाजिक-आर्थिक समूह माने जाने वाले इन समूहों में संयुक्त रूप से जनसंख्या का 21.33% हिस्सा शामिल है. दलितों में, दुसाधों की संख्या 5.31% है, जबकि चमार या मोची राज्य की आबादी का 5.25% हैं.
केंद्र सरकार की नौकरियों या केंद्र-वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों में, 17% सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं, जबकि 7.5% एसटी के लिए आरक्षित हैं.इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार के अनुसार, ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक समूह है जिसमें 4,70,80,514 व्यक्ति या राज्य की आबादी का 36.01% शामिल है.ओबीसी की संख्या 3,54,63,936 (27.12%) है, और अनुसूचित जाति (एससी) की संख्या 2,56,89,820 (19.65%) है.'
अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की संख्या की यदि बात करें तो केवल 21,99,361 (1.68%) है, जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा 2000 में राज्य के विभाजन के बाद झारखंड का हिस्सा बन गया है."अनारक्षित" श्रेणी में 2,02,91,679 व्यक्ति (15.52%) शामिल हैं ). सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार की जनसंख्या 13,07,25,310 है, जबकि 2011 की जनगणना में यह 10.41 करोड़ दर्ज की गई थी.