Bilkis Bano gangrape case : गुजरात (Gujrat) में गोधरा कांड (Godhra massacre) के वक्त हुए बिलकिस बानो गैंगरेप केस में दोषी सभी सजायाफ्ता कैदियों को स्वतंत्रता दिवस (indipedence day) पर रिहा कर दिया गया है. गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत सभी को रिहा करने की अनुमति दी है.
गुजरात में साल 2002 में गोधरा कांड हुआ था उसके बाद 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव में बिलकिस बानो नाम की महिला के साथ गैंगरेप किया गया था इस दौरान उसके परिवार के 7 सदस्यों को मार दिया गया था. वारदात के वक्त बिलकिस बानो 5 महीने के गर्भवती थी. केस दर्ज होने के बाद घटना के आरोपी केशुभाई वदानिया, राधेश्याम शाही, जसवंत चतुरभाई नाई, राजीवभाई सोनी, बकाभाई वदानिया, रमेशभाई चौहान, शैलेशभाई भट्ट, बिपिन चंद्र जोशी, मितेश भट्ट, प्रदीप मोढिया और गोविंदभाई नाई को 2004 में गिरफ्तार किया गया था. सबूतों में छेड़छाड़ ना हो सके इसलिए केस को सुप्रीम कोर्ट (supreme court)ने मुंबई ट्रांसफर कर दिया था, जिसके बाद मुंबई स्पेशल कोर्ट ने 11 आरोपियों को दोषी पाया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सभी की सजा को बरकरार रखा था.
कैसे हुई रिहाई ?
सभी दोषियों ने 18 साल की सजा काट ली थी, जिसके बाद राधेश्याम शाही नाम के कैदी ने धारा 432 और 433 के तहत सजा को माफ करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन HC ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि उनकी छूट के बारे में फैसला करने का अधिकार महाराष्ट्र सरकार का है ना कि गुजरात सरकार का. बाद में राधेश्याम शाही ने सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा खटखटाया, जिसके बाद मामले पर सुनवाई करते हुए SC ने गुजरात सरकार को 9 जुलाई 1992 की माफी नीति के तहत समय से पहले रिहाई के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इसी नीति के तहत कैदियों को रिहा कर दिया गया.