बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि महिला (woman) के साथ दोस्ती का मतलब शारीरिक संबंध (physical relation) बनाने की छूट नहीं है. रेप के एक मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस भारती डांगरे ने कहा कि अगर कोई महिला दोस्ती के लिए सहमत है तो इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं हो जाता कि वह शारीरिक संबंध बनाने की छूट दे रही है. कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए रेप के एक मामले के आरोपी की प्री-अरेस्ट बेल की याचिका को भी खारिज कर दिया.
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सुनवाई के दौरान जस्टिस डांगरे ने कहा कि हो सकता है कि साथ काम करते हुए पुरुष-महिला में दोस्ती हो जाए क्योंकि दोस्ती जेंडर देखकर नहीं होती लेकिन ये दोस्ती पुरुष को शारीरिक संबंध बनाने का लाइसेंस नहीं देती. अदालत ने कहा कि किसी भी संबंध में महिलाओं को सम्मान की उम्मीद होती है और ऐसा ही दोस्ती के मामले में भी होता है. कोर्ट ने कहा कि महिला को झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने वाले मामले की जांच की जरूरत है.
दरअसल, एक 22 साल की महिला की शिकायत के बाद आरोपी पर IPC की धारा 376 (2) (n) (एक ही महिला के साथ बार-बार रेप करने) और 376 (2) (h) (महिला को गर्भवती जानने के बाद भी रेप करने) के मामले में FIR दर्ज की गई थी. महिला का आरोप है कि आरोपी ने शादी का वादा करते हुए उससे बार-बार संबंध बनाए. जब महिला छह महीने की गर्भवती हुई तो उसने शादी से इनकार कर दिया.
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