ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi case) पर वाराणसी जिला कोर्ट (Varanasi Court) का बहुत बड़ा फैसला आया है. जिला जज ने अहम फैसला सुनाते हुए ज्ञानवापी परिसर में मौजूद कथित शिवलिंग (Shivling) की कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है. वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले से हिंदू पक्ष को झटका लगा है.
कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा ?
कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अधिवक्ता कमिश्नर की कार्रयवाही के दौरान जो कथित शिवलिंग पाया गया है, उसे नुकसान ना पहुंचे और उसे सुरक्षित रखा जाए, ऐसी स्थिति में अगर कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग करने पर कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है, तो ये माननीय सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश का उल्लंघन होगा और इससे आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है.
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दोनों पक्षों की दलील
फैसले से पहले 7 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष (Hindu side) ने दावा किया था कि वजूखाने में मिला शिवलिंग उनके वाद का हिस्सा है. वहीं मुस्लिम पक्ष (Muslim side) की वकील मुमताज अहमद ने अपना पक्ष रखते हुए बताया था कि परिसर में मिली आकृति की कार्बन डेटिंग नहीं कराई जा सकती, क्यों कि इससे आकृति नष्ट हो सकती है. जबकि सुप्रीम कोर्ट (SC) ने उसे संरक्षित रखने का आदेश दिया है. अगर कार्बन डेटिंग के नाम पर आकृति में तोड़फोड़ होती है, तो ये सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवहेलना है.
फैसले के बाद HC जाएगा हिंदू पक्ष !
वाराणसी कोर्ट के फैसले का बाद हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि- हमारी कार्बन डेटिंग की मांग खारिज कर दी गई है. कोर्ट ने कहा है कि शिवलिंग के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो, अभी इसकी आवश्यकता नहीं है. हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि हम हाई कोर्ट में अपनी बात रखेंगे.
हिंदू पक्ष ने की थी कार्बन डेटिंग की मांग
बता दें कि इससे पहले वाराणसी कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को दरकिनार कर श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी केस (Shringar Gauri-Gyanvapi case) को सुनवाई के योग्य माना था. इसके बाद से ही इस मामले में सुनवाई चल रही है. इसी बीच हिंदू पक्ष की 5 वादी महिलाओं ने एक याचिका दायर कर कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. लेकिन श्रृंगार गौरी में पूजा की अनुमति को लेकर दायर केस पर सुनवाई अभी जारी रहेगी.
क्या है कार्बन डेटिंग ?
कार्बन डेटिंग (carbon dating) से पुरातात्विक खोज, हड्डी, चमड़े, बाल और लकड़ी और चारकोल आदि के अवशेष की उम्र पता चल सकती है. लेकिन ये उम्र अनुमानित होती है, सटीक उम्र का पता लगाना मुश्किल माना जाता है. वहीं गौर करने वाली बात है कि पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकती, लेकिन बर्तनों की डेटिंग हो सकती है. हालांकि पत्थर में किसी प्रकार के कार्बनिक पदार्थ मिलने पर उसकी अनुमानित उम्र पता की जा सकती है.
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