महिलाओं के अधिकारों के लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट (MTP Act) के तहत अविवाहित महिलाओं को 24 हफ्ते तक गर्भपात (Abortion) कराने का अधिकार दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि किसी विवाहित महिला को जबरन प्रेगनेंट (Pregnant) करना MTP एक्ट के तहत रेप माना जा सकता है. बता दें कि अब तक सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भ के एबॉर्शन का अधिकार था.
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एक केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि विवाहित हो या अविवाहित, सभी को सुरक्षित एबॉर्शन का अधिकार है. इसके साथ ही कोर्ट ने MTP रूल्स के नियम 3-B का विस्तार कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत प्रजनन की स्वायत्तता गरिमा और गोपनीयता का अधिकार एक अविवाहित महिला को ये अधिकार देता है कि वो विवाहित महिला की तरह बच्चे को जन्म दे या नहीं.
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कोर्ट ने कहा कि विवाहित और अविवाहित के बीच भेदभाव उस रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन संबंध बना सकती हैं. कोर्ट ने कहा कि MTP एक्ट से अविवाहित महिलाओं को लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) से बाहर करने को भी असंवैधानिक करार दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा विवाहित महिलाएं भी रेप पीड़िता हो सकती हैं. बिना सहमति के संबंध (Relationship without Consent) बनाना रेप माना जाता है. ऐसे मामलों में महिला जबरन प्रेगनेंट भी हो सकती है.