Bulldozer Politics: राजनीति में क्यों चल रहा है बुलडोजर का ट्रेंड? अब गुजरात में भी 'फैसला ऑन द स्पॉट'

Updated : Apr 16, 2022 11:13
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Deepak Singh Svaroci

Bulldozer Politics: फैशन की दुनिया में बोल्ड एंड ब्यूटीफुल का फॉर्मूला चलता है. वैसे ही इन दिनों राजनीति में बोल्ड और बुलडोजर का ट्रेंड चल रहा है. यूपी चुनाव के बाद यह मान लिया गया है कि जितना बुलडोजर दौड़ेगा, बहुमत उतना ही बढ़ेगा. यूपी की राजनीति में अपार सफलता पाने के बाद बुलडोजर अब मध्यप्रदेश होते हुए गुजरात पहुंच चुका है. गुजरात के खंभात में जिला प्रशासन ने हिंसा के आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर चलाया है. जहां हिंसा हुई थी वहां मौजूद सभी दुकानों को तोड़ दिया गया है.

बुलडोजर की कहानी की शुरुआत होती है, जुलाई 2020 से. जब बिकरू हत्याकांड मामले के मुख्य आरोपी विकास दुबे के घर और पूरे कैंपस को जमींदोज कर दिया गया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुले तौर पर कहते रहे हैं कि निर्दोष लोगों की संपत्ति और सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा करने वालों का एक ही उपचार है - बुलडोजर.

हाल ही में एक सवाल के जवाब में सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया था कि अब तक माफियाओं के पास से 2,500 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है.

रेप और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में लिप्त होने वाले अभियुक्तों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काफी प्रसिद्धि पाई है. यही वजह रही कि यूपी चुनाव के दौरान 'बुलडोजर' को सरकार की मुख्य उपलब्धि के तौर पर पेश किया गया. इन कार्रवाइयों पर गीत भी बने, जनसभाओं में इसकी जमकर चर्चा हुई और लोगों को बताया गया कि जीतकर दोबारा आने पर इसे और तेज किया जाएगा.

कई राजनीतिक जानकार तो मानते हैं कि ‘बुलडोजर बाबा' के तौर पर भी प्रचारित किए जाने की वजह से ही योगी आदित्यनाथ दूसरी बार यूपी में सरकार बनाने में सफल रहे.

शायद यही वजह है कि मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह को 'बुलडोजर मामा' के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो रहा है. शिवराज सिंह एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं. लोग, सड़क किनारे सीएम चौहान और पीएम नरेंद्र मोदी के पोस्टर लगाकर बुलडोजर खड़े करके उनका स्वागत करते देखे जा रहे हैं. सीएम ने अपने काफिले को रोककर लोगों का अभिवादन किया.

मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि पिछले तीन महीनों में 2,244 एकड़ जमीन भूमि माफियाओं के कब्जे से मुक्त कराए गए हैं. जिसकी कीमत 671 करोड़ बताई गई है. जनवरी से मार्च महीने के बीच 1,791 केस दर्ज करवाए गए हैं. इन सभी ने सरकारी जमीन हथिया रखे थे. दावे के मुताबिक सरकार ने 3,814 अवैध निर्माण गिराए हैं.

इन दिनों सीएम शिवराज सार्वजनिक मंचों से कमिश्नर, कलेक्टर, आईजी-एसपी को बुलडोजर चलाने को कह रहे हैं. यानी कि जब भी कोई अपराध हो तो प्रशासन ऐसे लोगों के अतिक्रमण और अवैध निर्माण की तलाश कर बुलडोजर चलाने से नहीं चूके.

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के बाद अब गुजरात में भी बुलडोजर से कार्रवाई की शुरुआत हो चुकी है. आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर गुजरात के खंभात में बुलडोजर क्यों चलाया गया? दरअसल यहां रामनवमी के जुलूस के दौरान पथराव के बाद हिंसा फैल गई थी. इस हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई.

कायदे से सवाल तो यह पूछा जाना चाहिए था कि जब यह सब हो रहा था तो पुलिस प्रशासन कहां थी. जुलुस के लिए अगर अनुमति ली गई तो फिर व्यवस्था दुरुस्त क्यों नहीं की गई.. लेकिन इन सब सवालों के जवाब में प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया.. अब ना तो पुलिस प्रशासन पर उंगली उठाई जाएगी और ना ही राज्य सरकार निशाने पर आएगी....

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सवाल उठता है कि बिना किसी का दोष सिद्ध हुए पुलिस किसी के घर पर बुलडोजर कैसे चला सकती है? कानूनी तौर पर इसको लेकर क्या गाइडलाइन है... सुनिए सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी क्या कहते हैं...

  • FIR दर्ज होने से मकान तोड़ने की नहीं मिलती इजाजत
  • इस तरह किसी का दुकान या मकान तोड़ना गलत
  • किसी को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता
  • आर्टिकल 300 ए के तहत संविधान लोगों को देता है अधिकार
  • अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए भी प्रक्रिया को मानना होता है
  • सबसे पहले नोटिस देना होता है और सुनना भी होता है
  • चिह्नित की गई संपत्ति अवैध है या नहीं, सुनिश्चित करना होगा
  • कोर्ट में भी इस फैसले को चुनौती दी जा सकती है
  • CRPC की धारा 145, 146 डीएम और मजिस्ट्रेट को अधिकार देती है
  • शांति भंग होने की स्थिति या विवाद वाली बात में संपत्ति अटैच हो सकती है
  • सीधे बुलडोजर चलाकर किसी का घर तोड़ देना कानून में कहीं नहीं है

हालांकि इस तरह की कार्रवाई को लेकर सोशल साइट्स पर खूब सारे सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन किसी भी कोर्ट की तरफ से इस मामले में अब तक स्वत: संज्ञान नहीं लिया गया है.

मध्य प्रदेश और गुजरात में इसी साल चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बुलडोजर का कमाल इन दोनों राज्यों में भी दिख सकता है. लेकिन सवाल यह है कि केवल वोट बैंक के लिए कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर की कार्रवाई करना ठीक है....

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