Bulli Bai ऐप और Sulli Deals मामले ने सोशल मीडिया के भविष्य में हो सकने वाले संभावित इस्तेमाल को लेकर नई बहस छेड़ दी है. Bulli Bai ऐप नए साल की शुरुआत होने पर सामने आया, पीड़ितों ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी. यह ऐप मुस्लिम महिलाओं को नीलामी के तौर पर पेश कर रहा था. ऐप में महिलाओं की तस्वीर सोशल मीडिया से ली गई थी. जुलाई 2021 में सामने आए 'SULLI DEALS' का ही यह नया रूप था.
'BULLI' और 'SULLI' दोनों के जरिए मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया गया. संक्षेप में, ऐप मुस्लिम महिलाओं को झूठी नीलामी के लिए ऑब्जेक्ट के रूप में पेश कर रहा था. इस नीलामी में यूज़र हिस्सा ले सकते थे. इसका मकसद पीड़ितों को नीचा दिखाना था. तस्वीरें संभवत: पीड़ितों के सोशल मीडिया अकाउंट से उनकी इजाजत के बिना ली गई थीं.
यह स्पष्ट रूप से इसके जैसे ही ऐप - Sulli Deals - की तरह ही था जो जुलाई 2021 में सामने आया था. Bulli और Sulli दोनों मुस्लिम महिलाओं के लिए अपमानजनक थे.
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यह दोनों ही ऐप, Google Play Store या Apple के App Store पर उपलब्ध नहीं थे. इसकी बजाय, ये GitHub नाम के प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराए गए थे जिसे कोड रिपोजिट्री प्लेटफॉर्म के तौर पर पारिभाषित किया जाता है.
*रिपोर्ट्स के मुताबिक
सीधी भाषा में, यह सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के लिए एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तरह है जहां वे स्टोर कर सकते हैं, और प्रोजेक्ट्स में सहयोग कर सकते हैं. कोई भी कथित तौर पर सिर्फ एक ईमेल के साथ GitHub पर फ्री अकाउंट खोल सकता है, जिससे उसकी पहचान गुप्त रखना आसान हो जाता है. यह ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट्स के लिए लोकप्रिय है जहां कई प्रोग्रामर सॉफ्टवेयर को बेहतर बनाने में योगदान दे सकते हैं. ऐप को GitHub से भी डाउनलोड किया जा सकता है.
प्लेटफॉर्म की तरफ से कहा गया कि विवाद सामने आने के बाद उसने Bulli Bai ऐप बनाने वाले अकाउंट ब्लॉक कर दिए. इस केस में एक और टेक्निकल टर्म APK का इस्तेमाल किया गया. यह एक फाइल फॉर्मेट है जिसका इस्तेमाल ऐप, गेम्स, आदि को इंस्टॉल करने और डिस्ट्रिब्यूट करने के लिए किया जाता है. अगर किसी और के द्वारा अपलोड किया गया Bulli Bai और Sulli Deals का APK और Android Application Package ऑनलाइन उपलब्ध हो, तो इन्हें अभी भी डाउनलोड किया जा सकता है.
Sulli Deal मामले से अलग, पुलिस ने Bulli Bai केस में ऐक्शन लिया है. अभी तक 4 गिरफ्तारियां हुई हैं.
1: नीरज बिश्नोई
दिल्ली पुलिस ने असम से किया गिरफ्तार
इंजीनियरिंग में सेकेंड ईयर का छात्र
दिल्ली पुलिस के मुताबिक यही मुख्य साजिशकर्ता, ऐप क्रिएटर भी
2: श्वेता झा
मुंबई पुलिस ने उत्तराखंड से किया गिरफ्तार
उम्र 19 वर्ष, रिपोर्ट्स के मुताबिक इंजीनियरिंग करने की तैयारी में थी
मुंबई पुलिस ने इसे मास्टरमाइंड बताया है
3: विशाल कुमार झा
मुंबई पुलिस ने बेंगलुरु से किया गिरफ्तार
इंजीनियरिंग का 21 वर्षीय छात्र
4: मयंक रावल
मुंबई पुलिस ने उत्तराखंड से किया गिरफ्तार
उम्र 21 वर्ष, डीयू में केमेस्ट्री ऑनर्स का छात्र
*रिपोर्ट्स के मुताबिक
नीरज बिश्नोई को दिल्ली पुलिस ने असम से गिरफ्तार किया था. वह इंजीनियरिंग सेकेंड ईयर का छात्र है, जिसे दिल्ली पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता बताया है. मुंबई पुलिस द्वारा की गई बाकी गिरफ्तारियों में 19 वर्षीय श्वेता झा को मास्टरमाइंड बताया गया. 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र विशाल कुमार झा को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया है. केमेस्ट्री ऑनर्स के 21 वर्षीय छात्र मयंक रावल को भी उत्तराखंड से गिरफ्तार किया गया है.
इस बीच, समाचार रिपोर्ट्स में सामने आया है कि Twitter यूजर Giyou ने इस ऐप को बनाने की जिम्मेदारी ली है. यह अकाउंट नेपाल का बताया जा रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में एफआईआर में कई आरोप लगाए गए हैं.
+ IPC सेक्शन 153A
समुदायों के बीच वैमनस्य बढ़ाना
अधिकतम सजा: जुर्माने के साथ 3 साल की जेल
+ IPC सेक्शन 153B
राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालना
अधिकतम सजा: जुर्माने के साथ 3 साल की जेल
+ IPC सेक्शन 295A
धार्मिक विश्वासों के अपमान का प्रयास
अधिकतम सजा: जुर्माने के साथ 3 साल की जेल
+ IPC सेक्शन 354D
पीछा करना
अधिकतम सजा: जुर्माने के साथ 5 साल की जेल
+ IPC सेक्शन 509
स्त्री की लज्जा का अनादर
अधिकतम सजा: जुर्माने के साथ 1 साल की जेल
+ IPC सेक्शन 500
मानहानि की सजा
अधिकतम सजा: जुर्माने के साथ 2 साल की जेल
+ सेक्शन 67, I.T. ACT
इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आपत्तिजनक सामग्री भेजना
अधिकतम सजा: 10 लाख के जुर्माने के साथ 5 साल की जेल
इनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 153A शामिल है जो विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए लगाई गई है. जुर्माने के साथ अधिकतम सजा 3 साल की कैद है. आईपीसी की धारा 295ए में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किए गए कृत्यों के संबंध में ऐसी ही सजा का प्रावधान है.
पीछा करने के संबंध में लगाई गई आईपीसी की धारा 345 डी में अधिकतम जुर्माने के साथ 5 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. आईपीसी की धारा 509 में महिला का शील भंग करने पर अधिकतम सजा के साथ 1 साल की जेल की सजा का प्रावधान है, जबकि मानहानि के लिए आईपीसी की धारा 500 में अधिकतम सजा के रूप में 2 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है.
इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री के प्रकाशन के संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 में 10 लाख रुपये के जुर्माने के साथ 5 साल की जेल की सजा का प्रावधान है.
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