Chandrayaan-3 Launch: इसरो का तीसरा चंद्रमा मिशन भारत को विश्व के चार प्रमुख देशों में शामिल कर देगा

Updated : Jul 14, 2023 12:09
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Editorji News Desk

Chandrayaan-3 Launch:  जब से भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने घोषणा की है कि वह 14 जुलाई को अपना तीसरा चंद्रमा मिशन लॉन्च करने की योजना बना रही है, तब से काफी उत्साह है.

ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से चंद्रयान 3 एक ऐतिहासिक मिशन साबित हो सकता है. यदि मिशन सफल होता है, तो यह भारत के एक विशिष्ट क्लब में प्रवेश का प्रतीक होगा जिसके सदस्य के रूप में अब तक केवल 3 देश हैं.

इसरो का उद्देश्य चंद्रमा पर 'विक्रम' लैंडर और 'प्रज्ञान' रोवर की 'सॉफ्ट लैंडिंग' कराना है. अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने ही चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है. इसके अतिरिक्त, यदि चंद्रयान 3 सफल होता है, तो यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान होगा.

चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी लगभग पूरी हो गई है. 14 जुलाई दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान-3 (chandrayan-3) के लॉन्चिंग के साथ ही चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा.

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' का प्रयास करेगा.

ये भी पढ़े: Chandrayaan 3 Launch: चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के साथ भारत बनाएगा इतिहास, देखें, श्रीहरिकोटा का नजारा 

चंद्रयान-3 मिशन के प्राथमिक तीन उद्देश्य हैं. चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रमा पर रोवर का उतरना और इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना.

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर  'सॉफ्ट लैंडिंग' का प्रयास करेगा. अंतरिक्ष के क्षेत्र में ये भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की तारीख का एलान कर दिया है.

चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया जाएगा. इससे पहले एजेंसी ने 12 से 19 जुलाई के बीच तिथि तय की थी. चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है.

जानकारी के मुताबिक, चंद्रयान-2 के बाद इस मिशन को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए भेजा जा रहा है. चंद्रयान-2 मिशन आखिरी चरण में विफल हो गया था. उसका लैंडर पृथ्वी की सतह से झटके के साथ टकराया था, जिसके बाद पृथ्वी के नियंत्रण कक्ष से उसका संपर्क टूट गया था. चंद्रयान-3 को उसी अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए भेजा जा रहा है.


इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा. यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखेगा, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा.

चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं. एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने में असफल हुआ, उन पर फोकस किया गया है.

इससे पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बुधवार को बताया था कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम3 के साथ जोड़ा गया. यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा.

ISRO Chairman

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