भारत का विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चांद की सतह पर शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लैंड करेगा. ISRO ने इसकी जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर देते हुए कहा है कि चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उतरने के लिए बिल्कुल तैयार है.
अभी Vikram Lander चांद से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है. और कक्षा में चक्कर लगा रहा है. 25 किलोमीटर की दूरी से चांद की सतह तक पहुंचने में विक्रम लैंडर को 15 से 20 मिनट लगेंगे. ये वक्त की काफी चुनौतीपूर्ण माना जाता है.
इस दौरान विक्रम लैंडर के रैंप के जरिए 6 वील्स वाला रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा. इसके चलने के दौरान चांद की सतह पर ये भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेगा
आपको बता दें कि 18 अगस्त की दोपहर से पहले विक्रम लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल 153 km x 163 km की ऑर्बिट थे. लेकिन करीब 4 बजे दोनों के रास्ते अलग हुए. इसके बाद विक्रम लैंडर 113 km x 157 km की ऑर्बिट में आ गया.
तब इसकी दूरी चांद की जमीन से सिर्फ 113 किलोमीटर बची थी. यानी विक्रम 113 किलोमीटर वाले पेरील्यून और 157 किलोमीटर वाले एपोल्यून में था. पेरील्यून यानी चांद की सतह से कम दूरी. एपोल्यून यानी चांद की सतह से ज्यादा दूरी. चंद्रयान-3 बताए गए किसी भी गोलाकार ऑर्बिट में नहीं घूमा. न प्रोपल्शन मॉड्यूल न ही विक्रम लैंडर. सब लगभग गोलाकार ऑर्बिट में थे. अब बस 23 को सफल लैंडिंग का इंतज़ार है.