CJI NV Ramana: देश में प्राइवेट अस्पतालों (private hospitals) की कार्यशैली पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा (CJI NV Ramana) ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होने सरकार से भी इस पर कदम उठाने की मांग की है. उन्होने कहा कि निजी अस्पताल प्राइवेट कॉरपोरेट कंपनियों की तरह चलाए जा रहे हैं. समाज की सेवा करने के बजाय इनका मकसद सिर्फ मुनाफा कमाना है. अब जरूरत है कि सरकार निजी और मुनाफाखोर अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिए सख्त कानून बनाए. नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज (National Academy of Medical Sciences)के उद्घाटन के मौके पर उन्होने ये बातें कहीं
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सीजेआई रमणा ने झोलाछाप डॉक्टरों पर हमला करते हुए कहा कि जहां जनता जागरूक नहीं होती है वहां झोलाछाप डॉक्टर अपनी प्रैक्टिस जमा लेते हैं. देश की बड़ी आबादी इन फर्जी झोला छापों के शिकंजे में है.
असली डॉक्टर तो विज्ञान तकनीक और तन मन के बीच सेतु का काम करते हैं.
सीजेआई ने law प्रैक्टिस और मेडिकल प्रैक्टिस के बीच समानताएं भी बताईं. ये दोनों पेशे विश्व के सबसे पुराने और नोबल पेशे हैं. दोनों में सेवा भाव बेहद जरूरी है. दोनों में विकास की असीम संभावनाएं हैं. उन्होंने आगे कहा कि अब कॉरपोरेट की तर्ज पर चल रहे अस्पताल और उनमें कार्यरत डॉक्टर्स की नजर में रोगी एक मनुष्य नहीं बल्कि एक संख्या है. इसका खामियाजा सेवाभावी डॉक्टर्स को भी भुगतना पड़ता है. कोविड संकट के दौरान भी रोगियों की सेवा में जुटे डॉक्टर्स पर हमले हुए. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार को मरीजों के साथ साथ डॉक्टर्स की सुरक्षा संरक्षा और हित के लिए सोचना चाहिए. गंभीर सटीक और सार्थक उपाय करने चाहिए.