UCC Bill Uttrakhand: उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड के अलग अलग पहलुओं पर राज्य की विधासभा और देश में चर्चा जारी है. इस नए कानून में विवाह, तलाक और उत्तराधिकार को नए बिल की रोशनी में परिभाषित किया गया है.इस बिल में अवैध रिश्ते से जन्मे बच्चे का कॉन्सेप्ट ही खत्म कर दिया गया है. और ऐसे किसी भी बच्चे को वे सारे अधिकार दिए गए हैं जो किसी भी सामान्य रिश्ते से पैदा हुए बच्चे को मिलते हैं.
इसके अतिरिक्त इस बिल में 'बायलॉजिकल राइट्स' के कॉन्सेप्ट को भी शामिल किया गया है. उत्तराखंड यूसीसी अमान्य (Void) और अमान्य हो सकने वाले विवाह से पैदा हुए बच्चों के साथ-साथ लिव-इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चों को भी वैध मानता है. इसके अलावा इस बिल में गर्भस्थ बच्चे को भी उत्तराधिकार दिया गया है.
UCC बिल उत्तराधिकार के प्रयोजनों के लिए ऐसे उत्तराधिकारियों के बीच कोई भेद नहीं करता है जिनका जन्म हो गया है अथवा जो उस व्यक्ति जिसकी संपत्ति का बंटवारा होना है की मृत्यु के समय गर्भ में था/थी.गर्भस्थ शिशु को ऐसे व्यक्ति की मृत्यु के समय से ही उत्तराधिकारी माना जाएगा.उत्तराखंड UCC बिल में घर के मालिक के संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है. इस बिल के तहत बेटे और बेटियों को समान संपत्ति अधिकार के अधिकार को लेकर अवैध संबंध से पैदा हुए बच्चों और सामान्य बच्चों के बीच कोई भेद नहीं किया गया है. इस बिल में ऐसे अवैध संबंधों से पैदा हुए बच्चे को भी जैविक संतान माना गया है. और उन्हें संपत्ति का उत्तराधिकार माना गया है.
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