कोविड -19 से बचाव के लिए वैक्सीन ले चुके लोगों की अलग तरह की परेशानी शुरू हो गई है. सरकारी सर्वर से उनका पर्सनल डेटा लीक हो गया है. बड़ी बात यह है कि इस डेटा में आम भारतीयों के साथ पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम. टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन, कांग्रेस पार्टी नेता जयराम रमेश, अभिषेक मनु सिंघवी और सुष्मिता देव समेत कई नामी लोगों का पर्सनल डेटा शामिल है.
जिनमें इन लोगों का नाम, उम्र, लिंग, मोबाइल नंबर, पता, तारीख और कोविड-19 रिपोर्ट का नतीजा दिखता है. लीक हुए डेटा को रेड फोरम वेबसाइट पर बिक्री के लिए रखा गया है, जहां एक साइबर अपराधी ने 20,000 से अधिक लोगों का व्यक्तिगत डेटा होने का दावा किया है.
साइबर एक्सपर्ट के जानकारों की मानें तो सामग्री वितरण नेटवर्क (सीडीएन) के माध्यम से नाम और कोविड-19 परिणामों सहित व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी (पीआईआई) सार्वजनिक की जाती है.
साइबर एक्सपर्ट के अनुसार रेड फोरम पर साझा किए गए नमूना दस्तावेज से पता चलता है कि लीक हुआ डेटा Co-WIN पोर्टल पर अपलोड करने के लिए था. सरकार ने कोविड-19 महामारी के नियंत्रण और इसके टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में जागरूकता पैदा करने के मामले में डिजिटल तकनीकों पर बहुत अधिक भरोसा किया है.
कई सरकारी विभाग लोगों को कोविड-19 संबंधित सेवाओं और सूचनाओं के लिए आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग करने के लिए अनिवार्य करते हैं. इस घटना में लोगों को धोखाधड़ी कॉल, कोविड-19 से संबंधित ऑफ़र आदि से सतर्क रहने की जरूरत है. क्योंकि उनका डेटा भारत में बेचा जा रहा है.
डार्क वेब में बेचे जाने वाले डेटा का अक्सर साइबर अपराधियों और जालसाजों द्वारा कई तरह की धोखधड़ी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता साकेत गोखले ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. गोखले ने अपने ट्वीट में लिखा है कि मोदी सरकार में हजारों भारतीयों का कोविड-19 संबंधित डेटा ऑनलाइन लीक हो गया. उन्होंने कई वीआईपी लोगों के नाम भी अपने ट्वीट में शामिल किया है.
लीक हुए डेटा को रेड फोरम वेबसाइट पर बिक्री के लिए रखा गया है, जहां एक साइबर अपराधी ने 20,000 से अधिक लोगों का व्यक्तिगत डेटा होने का दावा किया है. भारत में हजारों लोगों का निजी डेटा एक सरकारी सर्वर से लीक हुआ है जिसमें उनका नाम, मोबाइल नंबर, पता और कोविड जांच परिणाम शामिल है और इन जानकारियों तक ऑनलाइन सर्च के जरिए पहुंचा जा सकता है.
इस पूरे घटनाक्रम पर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि ऐसा नहीं लगता कि काउइन ऐप या डेटाबेस में सीधे तौर पर सेंध लगाई गई है. नेशनल डेटा गवर्नेंस पॉलिसी को अंतिम रूप दिया गया है जो सभी सरकार में डेटा स्टोरेज, एक्सेस और सुरक्षा मानकों का एक सामान्य ढांचा तैयार करेगी.