मोदी सरकार (Modi Goverment) ने लोकसभा (Lok Sabha) में सोमवार को क्रिमिनल प्रोसीजर बिल ((Criminal Procedure Bill) पेश किया. इस बिल का कांग्रेस (Congress) समेत कई विपक्षी दलों (Opposition Parties) ने जोरदार विरोध किया. विपक्ष 102 साल पुराने आपराधिक कानून को बदलने का विरोध कर रही है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार ये बिल लाकर लोगों के मूल अधिकारों का हनन कर रही है. मोदी सरकार की तरफ से गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा (Ajay Mishra Teni) ने बिल (Bill) पेश किया. उन्होंने कहा कि अपराध की जांच और उसे रोकने के लिए इस बिल में पेश किए गए प्रावधान बेहद जरूरी हैं. इस बिल को पेश करने के पक्ष में 120 और विरोध में 58 वोट पड़े.
नए विधयेक के प्रावधान है कि किसी सज़ायाफ्ता या किसी अपराध के आरोप में गिरफ़्तार किए गए व्यक्ति के शरीर का नाप लिया जा सकेगा. नाप में फिंगर प्रिंट (Finger Print), फुट प्रिंट (Foot Print), आंखों की आयरिश का नमूना, उसकी तस्वीर, जैविक सैंपल, जैसे खून का नमूना, उसके हस्ताक्षर आदि शामिल होंगे.
मजिस्ट्रेट की आदेश के बाद ये सैंपल लिए जाएंगे. थानाध्यक्ष, हेड कॉन्स्टेबल और जेल के हेड वार्डन से ऊपर रैंक का पुलिस अफ़सर नमूना ले सकेगा. NCRB 75 सालों तक इन आंकड़ों को सुरक्षित रख सकेगा. शख्स की सजा खत्म होने या बरी होने के बाद सैंपल नष्ट कर दिए जाएंगे. पहले कानून में सिर्फ गंभीर अपराधों और फिंगर और फुट प्रिंट लिए जाने का प्रावधान है.