आइए आज हम आपको बताते हैं कि कब देश में जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) के रहते हुए एक IAS अधिकारी (KG Badlani) को एक दिन के प्रधानमंत्री बनाया गया था. आइए जानते हैं दादरा और नगर हवेली (Dadra and Nagar Haveli) के भारत में विलय की ऐतिहासिक घटना को...
मशहूर फिल्म अभिनेता अनिल कपूर की हिट फिल्म नायक (Anil Kapoor Nayak: The Real Hero Movie) आपको याद है. इसमें अनिल कपूर एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनते हैं...ये तो बात हुई रील लाइफ की लेकिन रियल लाइफ में भी ऐसा हो चुका है वो भी अपने ही देश में. हालांकि थोड़ा अंतर ये है कि इस कहानी में मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हैं.
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के वक्त एक दूसरे शख्स को भी एक दिन के लिए प्रधानमंत्री बनाया गया था ताकि दो प्रधानमंत्री एक समझौते पर हस्ताक्षर कर पाएं और उससे भारत को मिला हरे-भरे जंगल, घुमावदार नदियां, शानदार समुद्र तट, कलकल बहते झरनों की मधुर ध्वनि और दूर-दूर तक फैली पर्वत श्रृंखलाओं से भरपूर प्रदेश दादरा और नगर हवेली.
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अगर आप चक्कर में पड़ गए हों तो माफी लेकिन ये कहानी है गुजरात और महाराष्ट्र के बीच स्थित दादरा और नगर हवेली (Dadra and Nagar Haveli) की... आज ही के दिन 2 अगस्त 1954 को दादरा और नगर हवेली को आजादी मिली थी आज हम इसी पर विस्तार से बात करेंगे.
ये तो हम सभी जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 को हमारे प्यारे वतन को आजादी मिली थी लेकिन उस वक्त भी कई ऐसे इलाके थे जिनपर विदेशी शासन कायम था...मसलन गोवा और उसके साथ ही दादरा और नगर हवेली और दमन-दीव. इन तीनों ही स्थानों पर पुर्तगालियों का शासन था...मतलब अंग्रेज तो भारत से लौट गए थे लेकिन पुर्तगाली जमे हुए थे. पुर्तगालियों का विवादास्पद दावा था कि उन्होंने मराठों से एक संधि के तहत दादरा और नगर हवेली पर अपना शासन स्थापित किया है. उन्होंने नगर हवेली में 1783 तथा दादरा में 1785 में शासन करना शुरू किया था.
मशहूर लेखक डॉ.पी.डी. गायतोंडे (Dr. PD Gaitonde) की पुस्तक ‘द लिबरेशन ऑफ गोवा’ (The Liberation of Goa) के मुताबिक पुर्तगाल का उपनिवेश बनने से पहले दादरा और नगर हवेली धर्मपुर के राज्य का हिस्सा थे. पुर्तगालियों का शासन स्थापित होने के बाद काफी समय तक पुर्तगालियों व धर्मपुर के राजा की सेना में इन दोनों इलाकों पर कब्जे को लेकर हिंसक झड़पें होती रहीं थीं. गायतोंडे के ही मुताबिक दादरा और नगर हवेली का इतिहास राजपूत राजाओं द्वारा क्षेत्र के कोली सरदारों की हार के साथ शुरू होता है.
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सन 1262 में राजस्थान के रामसिंह नामक एक राजपूत राजकुमार ने स्वयं को रामनगर के शासक के रूप में स्थापित किया, जो वर्तमान में धर्मपुर है. रामसिंह ने जिस इलाके पर शासन किया उसमें 72 गांव शामिल थे और इसकी राजधानी सिलवासा थी. साल 1360 में राणा धर्मशाह प्रथम ने अपनी राजधानी को नगर हवेली से नगर फतेहपुर स्थानांतरित कर दिया. लेकिन इस बीच क्षेत्र में मराठा शक्ति के उदय के साथ, मराठा शासक शिवाजी ने धर्मपुर को एक महत्वपूर्ण इलाके के रूप में देखा और उन्होंने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया.
सोमशाह राणा ने 1690 में इस पर फिर से कब्जा कर लिया हालांकि मराठों ने कुछ ही वक्त में इस पर फिर से कब्जा कर लिया. बाद में साल 1779 में एक संधि में मराठों ने नगर हवेली का इलाका पुर्तगालियों को दे दिया. साल 1785 में पुर्तगालियों ने दादरा को खरीद लिया, और इसे पुर्तगाली भारत के साम्राज्य में शामिल कर लिया. तब से लेकर साल 1954 तक यहां पुर्तगालियों का ही शासन था.
अब आपको बताते हैं वो कहानी जो जिसका हमने शुरू में जिक्र किया था. जैसे-जैसे भारत में आजादी की जंग तेज हो रही थी दादारा और नगर हवेली में भी आजादी की सुगबुगाहट बढ़ने लगी थी लेकिन पुर्तगाली अपना शासन छोड़ने को तैयार नहीं थे.
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इसी बीच यूनाइटेड फ्रंट ऑफ गोवांस (UFG), नेशनल मूवमेंट लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (NMLO) और आजाद गोमांतक दल जैसे संगठनों के स्वयंसेवकों ने इलाके को आजाद कराने की कवायद शुरू कर दी. कहा जाता है कि इसमें उन्हें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के स्वयंसेवकों का भी साथ मिला. खुद लता मंगेशकर ने इस स्वयंसेवकों को आथिक मदद देने के लिए पुणे में एक कन्सर्ट का आयोजन किया था.
इसके बाद तारीख आई 21 जुलाई 1954...जब इन स्वयंसेवकों ने दादरा थाने पर हमला बोला और वहां तैनात पुलिसकर्मियों को कब्जे में लेकर तिरंगा झंडा फहरा दिया. इसी तरह 28 जुलाई और 1 अगस्त को नरोला और पिपरिया थाने पर भी आजादी के इन मतवालों ने कब्जा कर लिया.
1 अगस्त की रात को ही स्वयंसेवकों ने राजधानी सिलवासा के थाने पर तैनात 175 पुर्तगाली सैनिकों को भी एक छोटी से जंग में हरा दिया औऱ वहां भी तिरंगा झंडा फहरा दिया. इसके बाद इन स्वयंसेवकों ने दादरा और नगर हवेली का शासन चलाने के लिए भारत समर्थित वरिस्ता पंचायत बनाई. इस पंचायत ने साल 1961 तक यहां शासन किया.
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अब परेशानी ये थी कि दादरा और नगर हवेली का विलय भारत में कैसे किया जाए. इस परेशानी का हल निकालने के लिए भारतीय सरकार ने एक दूत वहां के प्रशासन पर नियंत्रण रखने के लिए भेजा. जिस आदमी को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी, वो थे गुजरात कैडर के आईएएस अफ़सर के. जी. बदलानी (KG Badlani). बदलानी बकायदा सिलवासा पहुंचे और बतौर प्रधानमंत्री शपथ लिया.
ये इसलिए जरूरी था क्योंकि एक स्वतंत्र प्रदेश के प्रधानमंत्री ही दूसरे देश के प्रधानमंत्री से विलय का समझौता कर सकते थे. इसके बाद राज्य के प्रधान के रूप में बदलानी ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के साथ विलय के समझौते पर 11 अगस्त 1961 को हस्ताक्षर किया. जिसके बाद आधिकारिक रूप से दादरा और नगर हवेली का विलय भारत में हो गया. भारत के इतिहास में इस तरह का ये इकलौता मामला है.
अब चलते-चलते आज की तारीख में घटी दूसरी अहम घटनाओं पर भी निगाह मार लेते हैं
1790: अमेरिका में पहली बार जनगणना (US Census) हुई
1858: गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट (Government of India Act) पारित, भारत का शासन ब्रिटिश राजशाही के हाथ में गया
1987: विश्वनाथ आनंद ने विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप (World Junior Chess Championship) जीती
1990: इराक ने कुवैत पर हमला (Iraq Attacked on Kuwait) किया. कुवैत के अमीर भागकर सऊदी अरब पहुंचे
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