Death Penalty in India: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी भी दोषी को फांसी या मृत्युदंड तभी दिया जाना चाहिए, जब उसके सुधार की सभी उम्मीदें खत्म हो जाएं. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने इस पक्ष के महत्व पर जोर दिया कि एक गुनहगार के सुधार की उम्मीद है या नहीं, इसका निर्धारण करने वाली स्थितियां और परिस्थितियां क्या होनी चाहिए.
इस दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि आपराधिक कृत्य करने वाले किसी भी दोषी की सजा को कम करने वाली वजहों में आरोपी की पृष्ठभूमि, हिरासत या कैद की अवधि में जेल में उसका व्यवहार या उसका आपराधिक इतिहास शामिल होता है. इसी के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जब दोषी में सुधार की सभी उम्मीदें खत्म हो जाएं, तभी मृत्यु की सजा पर विचार किया जाना चाहिए.
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