Rajnath Singh on AFSPA: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने शनिवार को जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में अफस्पा कानून (AFSPA) को लेकर कहा कि देश की सेना भी नहीं चाहती है कि जम्मू कश्मीर में यह कानून रहे. शनिवार को रक्षा मंत्री असम के गुवाहाटी में 1971 युद्ध के वीरों के अभिनंदन पर सभा को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सेना भी चाहती है कि जम्मू कश्मीर से अफस्पा कानून जल्द से जल्द हटे. अफस्पा जुलाई 1990 में कश्मीर घाटी में और अगस्त 2000 में जम्मू क्षेत्र में उग्रवाद को रोकने के लिए लगाया गया था.
राजनाथ ने कहा कि मणिपुर और नागालैंड के 15 पुलिस स्टेशनों से AFSPA हटा दिया गया है. यह अपने आप में बहुत मायने रखता है. यह इस क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता का परिणाम है. कोई छोटी बात नहीं है कि पूर्वोत्तर के राज्यों में पिछले 3-4 साल से अफस्पा हटाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा, हाल ही में असम के 23 जिलों से अफस्पा को पूरी तरह से हटा दिया गया था.
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बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब राजनाथ सिंह ने कश्मीर घाटी में अफस्पा को हटाने पर बात की है. 2015 में गृह मंत्री के रूप में जम्मू-कश्मीर की अपनी यात्रा के दौरान सिंह ने कहा था कि सशस्त्र बल अधिनियम को स्थिति के अनुकूल होने पर हटाया जा सकता है.
अफस्पा कानून क्या है?
लगभग 45 साल पहले भारतीय संसद ने “अफस्पा” यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (Armed forces special powers act 1958) को लागू किया, जो एक फौजी कानून है, जिसे “डिस्टर्ब” क्षेत्रों में लागू किया जाता है, यह कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है. इस कानून के लागू होने वाले क्षेत्र में सैन्य बलों के पास यह अधिकार होता है जिसमें वे वहां 5 या उससे ज्यादा लोगों की एकसाथ मौजूदगी पर रोक लगा सकते हैं. अगर सशस्त्र बलों को लगता है कि किसी शख्स ने कानून का उल्लंघन किया है, तो उचित चेतावनी के बाद बल प्रयोग भी कर सकते हैं या गोली भी चला सकते हैं. बिना वारंट गिरफ्तारी, तलाशी आदि भी इसमें शामिल है.
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