एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (HC) ने कहा कि केवल इसलिए कि पीड़िता किसी पुरुष के साथ रहने की सहमति (Woman's consent) देती है, भले ही कितने समय के लिए, यह इस बात का आधार नहीं हो जाता कि उसने यौन संबंध बनाने के लिए भी सहमति दी थी.
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मामले में एक आध्यात्मिक गुरू पर विदेश से आई एक महिला पर यौन शोषण का आरोप है, जो अपने मृत पति के अंतिम संस्कार और अनुष्ठान के लिए विभिन्न पवित्र स्थानों पर आरोपी के साथ जाने के लिए सहमत हुई थी. आरोपी याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पीड़िता बालिग थी और शारीरिक संबंध पूरी सहमति से बनाए गए थे.
वहीं पीड़िता के वकील ने कहा कि आरोपी एक ढोंगी है और उसने पीड़िता की कमजोरी का फायदा उठाया. फिलहाल कोर्ट ने आरोपी याचिकाकर्ता को नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया, और मामले में अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों के बयान पूरे हो जाने के बाद नए सिरे से आवेदन करने को कहा.