Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश को वापस ले लिया है जिसमें एक महिला को अपने 29 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने की अनुमति दी गई थी. हाईकोर्ट ने 4 जनवरी को ये आदेश पारित किया था. इसमें कहा गया था कि महिला के पति की अक्टूबर 2023 में मृत्यु हो गई थी. वो अवसाद से पीड़ित थी और गर्भावस्था जारी रहने से उसके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता था.
गर्भपात की अनुमति रद्द करने का 23 जनवरी का आदेश केंद्र द्वारा एक याचिका दायर करने के बाद आया है. याचिका में कहा गया था कि बच्चे के जीवित रहने की संभावना है और अदालत को अजन्मे बच्चे के जीवन के अधिकार की रक्षा पर विचार करना चाहिए.
केंद्र के तर्क को स्वीकार करते हुए जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि 26 साल की महिला, जो अब 32 सप्ताह से प्रेग्नेंट है, प्रसव के लिए एम्स या किसी अन्य केंद्रीय या राज्य सरकार के अस्पताल में जा सकती है. आदेश में कहा गया है कि सरकार प्रसव की प्रक्रिया में सभी चिकित्सा और आकस्मिक खर्च वहन करेगी. बच्चे के जन्म के बाद गोद लेने की प्रक्रिया तेजी से कराई जा सकती है.
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