मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया. वित्त मंत्री ने इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) के लिए बड़े स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग स्टेशनों (EV Charging Stations) में बड़े पैमाने पर निवेश किया जाएगा. सरकार आने वाले दिनों में बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी लेकर आएगी. अपने बजट में वित्त मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए स्पेशल मोबिलिटी जोन तैयार किए जाएंगे. इसके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जोर दिया जाएगा.
भारत ने 2030 तक निजी कारों के लिए 30 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री, कमर्शियल वाहनों के लिए 70 फीसदी, बसों के लिए 40 फीसदी और दोपहिया-तिपहिया वाहनों के लिए 80 फीसदी का लक्ष्य रखा है.
बता दें पूरे देश में अब तक केवल 1,028 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैं. देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की धीमी बिक्री का एक प्रमुख कारण इलेक्ट्रिक वाहनों का महंगा होना और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है.
क्या है बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी?
जैसे आप अपनी गाड़ी में पेट्रोल, डीजल या सीएनजी भरवाने के जाते हैं, वैसे ही आपको बैटरी स्वैपिंग स्टेशन पर जाना होगा. आपको अपनी पुरानी डिस्चार्ड बैटरी देनी होगी, जिसके बदले आपको फुल चार्ज दूसरी बैटरी मिल जाएगी. स्वैपिंग स्टेशन पर सभी तरह के ब्रांड्स उपलब्ध होंगे. सरकार की इस पॉलिसी के आने के बाद आपका बेहद समय बचेगा. आमतौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी चार्ज होने में 8 से 10 घंटे लगते हैं. हालांकि आपके पास अगर फास्ट चार्जर है तो डेढ़ से दो घंटे में बैटरी फुल चार्ज हो जाती है