चांद पर भारत की ऐतिहासिक छलांग से ने सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया में भारत की प्रशंसा हो रही है.इसरो के लैंडर विक्रम ने बुधवार शाम को चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग करके जहां एक और इतिहास रच दिया वहीं भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश भी बन गया है. भारत की इस बड़ी खबर पर पूरी दुनिया अपनी निगाहें गड़ाए बैठी थी. वर्ल्ड मीडिया की बात करें तो अमेरिका,ब्रिटेन,यूरोप के तमाम बड़े अख़बारों ने इस बड़ी खबर की लाइव कवरेज की.
भारत एक मात्र ऐसा देश है, जिसने चांद की सबसे डार्क साइड पर अपना स्पेसक्राफ्ट सफलता पूर्वक लैंड किया है, इससे पहले 21 अगस्त 2023 को रूस का लूना-25 अपना अंतिम ऑर्बिट बदलते हुए क्रैश हो गया था. दुनिया में भारत से पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसे देश हैं
जिन्होंने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा था अब भारत भी इस पंक्ति में शामिल हो गया है.
इसरो यानि इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की बुधवार से चारों तरफ प्रशंसा हो रही है. पीएम मोदी ने चंद्रयान 3 की इस शानदार उपलब्धि पर कहा कि पीएम मोदी ने कहा, ''जीवन धन्य हो गया है. ये क्षण जीत के पथ पर चलने का है. ये पल 140 धड़कनों का है आज हर घर में उत्सव शुरू हो गया है. मैं चंद्रयान-3 की टीम और देश के वैज्ञानिकों को बधाई देता हूं.'' कांग्रेस ने चंद्रयान-3 की सफल 'लैंडिंग' को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की बेमिसाल उपलब्धि करार देते हुए बुधवार को कहा कि यह किसी एक व्यक्ति नहीं, बल्कि सामूहिक संकल्प का नतीजा है.
एक वक़्त था जब अमेरिकी अखबार 'न्यूयोर्क टाइम्स' ने भारत के मंगलयान मिशन को लेकर आपत्तिजनक कार्टून छापा था, जिसमे एक किसान को गाय के साथ दिखाया गया था.लेकिन अब अमेरिका वही देश है जिसने चंद्रयान-3 के लिए भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो की मदद की है. NASA के पास टेक्नोलॉजी है, जिसका नाम डीप स्पेस नेटवर्क है.जिसमें दुनिया के अलग-अलग कोनों में विशाल रेडियो एंटीने की एक सीरीज है. इसके जरिए NASA इसरो को ट्रैकिंग कवरेज मुहैया करा रहा है.वहीं, ESA अंतरिक्ष में सैटेलाइट को उनकी कक्षा में ट्रैक करने और जमीन से उनका संपर्क बनाए रखने में मदद करती है.
इसरो के मिशन चंद्रयान 3 की एक उपलब्धता उसका कम बजट में तैयार होना भी है. भारत की स्पेस एजेंसी इसरो के इस कामयाब मिशन में
लगभग 615 करोड़ का खर्च हुआ है. वहीं अगर बात रूस के लूना-25 प्रोजेक्ट की करें तो रूस के इस प्रोजेक्ट पर भारत से तीन गुना अधिक खर्च किया था. लूना-25 प्रोजेक्ट के लिए रूस ने 1,659 करोड़ रुपए लगाए थे उसके बावजूब भी ये मिशन सफल नहीं सका.