Religious Conversion: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. डरा-धमकाकर या लालच देकर धर्म परिवर्तन को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर मामला बताया है. कोर्ट ने कहा कि यह देश की सुरक्षा और धर्म की स्वतंत्रता (Security and freedom of religion) को भी प्रभावित करता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कोई स्वेच्छ से धर्मांतरण करता है तो उसमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है.
जस्टिस एमआर शाह और हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार को जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट अब 28 नवंबर को सुनवाई करेगा. अदालत ने कहा कि इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) सरकार का पक्ष रखें. साथ ही धोखे के दम पर धर्म परिवर्तन के मामलों को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने वाली मांग वाली याचिका पर हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है.
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सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आदिवासी क्षेत्रों में होने वाले धर्म परिवर्तन की बात कही. उन्होंने सरकार से पूछा कि वह इस तरह के मामलों में क्या कर रही है.
बता दें जबरदस्ती धर्म परिवर्तन को लेकर वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में धर्म परिवर्तन के ऐसे मामलों को रोकने के लिए अलग से कानून बनाए जाने की मांग की है.
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