Indian Army Recruitment 2022: करीब दो साल बाद भारतीय सेना में फिर से भर्ती शुरु हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) या रक्षा मंत्रालय (ministry of defence) की ओर से इसका जल्द ऐलान हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक सेना भर्ती के लिए 'टूर ऑफ ड्यूटी' (Tour of Duty’ for jawans) योजना लाई जाएगी. 'टूर ऑफ ड्यूटी' में तीन या पांच साल तक का कॉन्ट्रैक्ट युवाओं को दिया जाएगा.
बता दें कि करीब दो साल पहले 'टूर ऑफ ड्यूटी' का प्रस्ताव लाया गया था. इसके पक्ष में दलील दी गई थी कि युवाओं को तीन साल के लिए आर्मी में भर्ती कराना सरकारी खजाने से बोझ कम करेगा. जो खर्च कम होगा उससे सेना का मॉर्डनाइजेशन (modernisation of the Army) किया जा सकेगा.
एक आंकड़े के मुताबिक जब कोई अफसर (Officer) 10 साल बाद सेना छोड़ता है तो उसकी तनख्वाह (Salary), अलाउंस ( allowances), ग्रैचुइटी(gratuity) और दूसरे खर्चे मिलाकर सरकार करीब 5.12 करोड़ रुपये खर्च करती है. वहीं 14 साल काम करने के बाद रिटायर होने वाले एक अफसर पर करीब 6.83 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. वहीं 'टूर ऑफ ड्यूटी' लागू करने से तीन साल में 80 से 85 लाख रुपये तक का खर्च आएगा. इसी तरह अभी एक सिपाही 17 साल तक रखा जाता है. अगर इसे तीन साल का रखा जाएगा तो करीब साढ़े 11 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ' टूर ऑफ ड्यूटी' खत्म होने के बाद युवाओं को रीसेटलमेंट कोर्स, प्रोफेशलन इनकेशमेंट ट्रेनिंग लीव, ECHCS की ज़रूरत नहीं . योजना उन युवाओं के लिए फायदेमंद मानी जा रही है जो सेना में स्थाई करियर नहीं बनाना चाहते, लेकिन उन्हे सेना का रोमांच आकर्षित करता है.
सेना से जुड़े कई सीनियर अफसर मानते हैं कि ऐसी शॉर्ट टर्म भर्ती से सेना की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा. कई मानते हैं कि जिन देशों में ऐसे कदम उठाए गए हैं वो असफल रहे हैं. बता दे कि रूस की सेना मे भी ऐसा प्रयोग किया गया है. सीमा विवाद (Boarder Dispute) से घिरे भारत जैसे देश की सेना में सीधे इस प्रयोग का भी कई विरोध करते हैं. उनका मानना है कि पहले इसे पैरा मिलिट्री में ट्रायल करना चाहिए.