Goodbye Mangalyaan: अंत तक रहा मिशन पर, तय जिंदगी से जीया 16 गुणा ज्यादा

Updated : Oct 05, 2022 14:52
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Rupam Kumari

Goodbye Mangalyaan: 5 नवंबर साल 2013 वो तारीख थी जब भारत ने अपना एक यान हमारी धरती के सबसे निकट के पड़ोसी मंगल ग्रह की ओर भेजा...तब पूरी दुनिया को इस पर संदेह था कि ये यान जिसका नाम मंगलयान था वो मंगल तक पहुंचेगा...इसरो को इसका भरोसा तो था कि मंगलयान मंगल तक पहुंचेगा लेकिन वो भी मान रहा था कि उसका ये यान  6 महीने तक ही काम करेगा. लेकिन जैसे ये मिशन चमत्कारों को करने के लिए ही बना था... हमारा मंगलयान 8 साल 8 दिन तक मंगल ग्रह का चक्कर लगने के बाद अंतरिक्ष की अथाह गहराइयों में गुम हो गया है. लिहाजा अलविदा मंगलयान कहने के साथ उसके सफर और उसके द्वारा हासिल उपलब्धियों को भी जानने का ये माकूल वक्त है. 

मंगलयान का चमत्कारी सफर 

सरकार ने मंगल योजना को 3 अगस्त 2012 को मंजूरी दी
5 नवंबर साल 2013 को श्रीहरिकोटा से छोड़ा गया
24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह की कक्षा में दाखिल हुआ
US, रूस और चीन के बाद ये कारनामा करने वाला चौथा देश बना भारत
अपने पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचने वाला पहला देश बना भारत
परियोजना की कुल लागत 454 करोड़ रुपये थी
उस समय कई हॉलीवुड फिल्मों का बजट इससे ज्यादा थी

Delhi AIIMS: 1 नवंबर से नहीं देना होगा OPD कार्ड शुल्क, 300 रुपये तक की जांच भी मुफ्त

सूरज से ऊर्जा लेता था 'मंगलयान' 

अब सवाल ये है कि आखिर जब मंगलयान का जन्मदाता इसरो खुद मान रहा था कि यान की उम्र महज 6 महीने होगी तो वो 8 सालों तक कैसे काम करता रहा. दरअसल मंगलयान सूरज की रोशनी से उर्जा लेता था और अपना काम कर रहा था.  उसके बैटरी पैनल उम्मीद से ज्यादा अच्छे निकले. हलांकि इन दिनों मंगलयान बार-बार सूरज की रोशनी से महरूम हो जा रहा था, चूंकि इस भारतीय अंतरिक्षयान में लगी बैटरी बिना सूरज की रोशनी के 1 घंटे 40 मिनट से ज्यादा नहीं चल सकती थी, इसलिए एक बार साढ़े 7 घंटे के लंबे ग्रहण ने उसकी जान निकाल दी. एक न्यूज चैनल ने यह जानकारी इसरो के एक अधिकारी के हवाले से दी है. लेकिन अपनी जिंदगी में मंगलयान ने देश को कई ऐसी जानकारियां उपलब्ध कराईं जो स्पेस रिसर्च में मील का पत्थर साबित होगा. हालांकि सोमवार यानि 3 अक्टूबर तक इसरो ने आधिकारिक तौर पर इस मिशन के समाप्त होने का ऐलान नहीं किया है. अब इसकी उपलब्धियों पर भी निगाह मार लेते हैं. 

 हमेशा याद रहेगा 'मंगलयान'  

बेहद नजदीक, सबसे दूर से ली तस्वीरें
मंगल का फुल डिस्क मैप बना पाया 
मंगल के उपग्रह डिमोस की तस्वीर 
मास कलर कैमरा से 1100 फोटो भेजीं
इसकी सहायता से मार्स एटलस तैयार हुआ
35 से ज्यादा रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए
पीयर रिव्यूड जर्नल्स में रिसर्च प्रकाशित 
सौर ऊर्जा के सोलर डायनेमिक्स की स्टडी
मंगल पर उठे धूल के तूफान की स्टडी की
मंगल के एक्सोस्फेयर में हॉट आर्गन खोजा
सतह से ऊपर O2 और CO2 की मात्रा का पता चला 
इसरो को मिले स्पेस,सर्विस, सैटेलाइट डील्स

MangalyaanMission Mangal

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