चुनाव से पहले गुजरात में कांग्रेस (Gujarat Congress) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं...पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष हार्दिक पटेल (Hardik Patel) अपनी ही पार्टी के आलाकमान से नाखुश नजर आ रहे हैं...उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा है कि पार्टी में मेरी हालत उस नवविवाहित दूल्हे के जैसी है, जिसकी नसबंदी करा दी गई हो.
इंटरव्यू में हार्दिक का दर्द यहीं नहीं थमा...उन्होंने आगे कहा कि मुझे प्रदेश कांग्रेस कमिटी (Congress Committee) की किसी बैठक में आमंत्रित नहीं किया जाता. कोई भी निर्णय लेने से पहले नेतृत्व मुझसे सलाह नहीं लेता, फिर इस पद का क्या मतलब है?
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दरअसल हार्दिक की नाराजगी की टाइमिंग बेहद खास है...एक तो सुप्रीम कोर्ट ने पाटीदार हिंसा मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा कर उन्हें चुनाव लड़ने की आजादी दी है दूसरे गुजरात में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
हार्दिक पाटीदार समाज के बड़े नेता हैं. उनकी अहमियत ये है कि कांग्रेस ने उन्हें महज 26 साल में ही प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया. 2015 के स्थानीय चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार समाज के आंदोलन से कांग्रेस को बड़ा चुनावी फायदा हुआ. खुद हार्दिक कहते है कि पार्टी में कुछ लोग सोच रहे हैं कि अगले 5-10 साल में मैं उनकी तरक्की में बाधा बन सकता हूं इसलिए मेरी अनदेखी हो रही है.