Hijab Ban News : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में मंलगवार को आठवें दिन हिजाब बैन (Hijab Ban) मामले को लेकर जोरदार बहस हुई. वहीं सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. तो वहीं मुस्लिम छात्राओं के वकील दुष्यंत दवे (Adv Dushyant Dave) ने कहा कि राज्य सरकार (Government of Karnataka) का सर्कुलर संविधान का उल्लंघन करता है.
पहले मुस्लिम छात्राओं (Muslim girl students) के वकील दुष्यत दवे ने अपन पक्ष रखते हुए कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka highcourt) के फैसले में कई खामियां हैं और राज्य सरकार का सर्कुलर गैर संवैधानिक (non constitutional) और अवैध है. दवे ने कहा कि राज्य का सर्कुलर अनुच्छेद 14,19 और 25 का उल्लंघन करता है. मुस्लिम छात्राओं के वकील ने कहा कि हिजाब मुस्लिम महिलाओं की गरिमा से जुड़ा मामला है और संविधान का अनुच्छेद 21 गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है. दुष्यंत दवे ने ये भी दलील दी कि हिजाब पहनने से किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचती है और ना ही शांति भंग होती है.
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सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 2021 से पहले तक कोई छात्रा हिजाब नहीं पहनती थी, लेकिन एकाएक छात्राएं हिजाब पहनकर आने लगीं. तुषार मेहता ने कहा कि ये स्टूडेंट्स की तरफ से अचानक शुरू किया आंदोलन था, जिसके बाद दूसरे कम्युनिटी के छात्रों ने भगवा शॉल पहनना शुरू कर दिया. सरकार संवैधानिक दायित्व का पालन कर रही है और हिजाब और भगवा शॉल दोनों को पहनने से रोक रही है. सर्कुलर यही कहता है, ऐसा नहीं है कि किसी एक कम्युनिटी को कुछ विशेष पहनने से रोका है, सभी स्टूडेंट्स को यूनिफॉर्म पहनने के लिए कहा गया है तो रिलीजियस न्यूट्रल है.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस धुलिया ने तुषार मेहता से पूछा कि आप सिर्फ ड्रेस कोड की बात कर रहे हैं. जिस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हां सिर्फ ड्रेस की बात कर रहे हैं, इसमें हमने किसी भी धर्म विशेष को नहीं छुआ है. हम सिर्फ ये कह रहे हैं कि धार्मिक पहचान वाले कपड़े शिक्षण संस्थानों में ना पहने जाएं. वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील दुष्यंत दवे की दलील पर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि यूनिफॉर्म समानता लाता है और विषमताएं दूर करता है, इससे अमीरी-गरीबी नहीं दिखाई देती.
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