कौन जानता था कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में उमरिया जिले में1100 वर्ग किलोमीटर में फैला बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व (Bandhavgarh Forest Reserve Area) अपने अंदर प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को समेटे बैठा है. भारतीय पुरातत्व विभाग (Archaeological Department of India) की टीम ने करीब 170 वर्ग किलोमीटर के इलाके को खंगालकर करीब 2 हजार साल पुराना भारत का इतिहास दुनिया के सामने ला रखा है. बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व में मंदिर और बौद्ध मठ (Temples and Buddhist Monasteries) मिले हैं. सभी ऐतिहासिक धरोहर (Historic Monuments) के अवशेष करीब दो हजार साल पुराने हैं. ASI ने 26 मंदिर, 26 गुफाएं, 2 मठ, 2 स्तूप, 24 अभिलेख, 46 कलाकृतियां और 19 जल संरचनाएं खोजी हैं. गुफाओं में हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़े कई ऐतिहासिक और रोचक जानकारियां सामने आई हैं.
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मथुरा और कौशाम्बी का जिक्र
इन गुफाओं में कई गुफाएं इतनी बड़ी है जिनमें 30 से 40 लोग एक साथ रह सकते है. बोर्ड गेम जिसमें लोग गोटियों का खेल खेलते थे वो अवशेष भी मिले हैं. लेटे हुए विष्णु और वराह की मूर्तियां भी मिलीं है. इस गुफाओं में पत्थर से बने बेड से लेकर तकिए, कुछ गुफाओं के फर्श पर बोर्ड गेम के पैटर्न भी मिले हैं. वहीं, इस दौरान 24 अभिलेख ब्राह्मी और अन्य भाषाओं में मिले हैं. इनमें मथुरा (Mathura) और कौशाम्बी (Kaushambi) के नाम का भी जिक्र मिलता है. शिलालेखों पर महत्वपूर्ण राजाओं में भीमसेना, महाराजा पोथासिरी और भट्टदेव के नाम लिखे हैं. ये गुफाएं दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व और 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच की बताई जा रही हैं.
बांधवगढ़ का भगवान राम से संबंध
बांधवगढ़ का ऐतिहासिक उल्लेख (Bandhavgarh historical mention) नारद पंचरात्र और शिव पुराण में भी मिलता है. मान्यता है कि भगवान श्री राम ने अयोध्या लौटते समय अपने छोटे भाई लक्ष्मण को यह क्षेत्र उपहार स्वरूप दिया था. इस इलाके से मिले प्राचीन अभिलेखों से पता चलता है कि यह बहुत लंबे समय तक मघ राजवंश (Magha Dynasty) के अधीन था. ASI ने बांधवगढ़ फॉरेस्ट रिजर्व में 1938 में भी गुफाओं की खोज की थी.